Crude Oil की कीमत बढ़ाने के लिए OPEC और दूसरे देशों में बनी सहमति, Trump ने किया स्वागत
OPEC Plus Crude Oil deal: कुवैत के तेल मंत्री खालिद अल-फदेल ने रविवार को ट्विटर पर कहा कि हम उत्पादन में कटौती करने पर सहमति बनने की घोषणा करते हैं. ओपेक और दूसरे तेल उत्पादक देश 1 मई से रोजाना उत्पादन में एक करोड़ बैरल की कटौती करेंगे.
OPEC Plus Crude Oil deal: कोरोनावायरस (Coronavirus) की वजह से दुनियाभर में लगातार कम हो रहे डिमांड की वजह से लगातार क्रूड ऑयल (Crude Oil) की घट रही कीमत में तेजी लाने की कवायद सफल हो गई है. तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक (OPEC) और गैर ओपेक तेल उत्पादक सदस्य देशों के बीच क्रूड उत्पादन घटाने पर सहमति बन गई है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने इस सहमति पर ओपेक और रूस (Russia) के बीच इस फैसले का स्वागत किया है.
कुवैत के तेल मंत्री खालिद अल-फदेल ने रविवार को ट्विटर पर कहा कि हम उत्पादन में कटौती करने पर सहमति बनने की घोषणा करते हैं. ओपेक और दूसरे तेल उत्पादक देश 1 मई से रोजाना उत्पादन में एक करोड़ बैरल की कटौती करेंगे.
अधिकारियों ने बताया कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (OPEC) और दूसरे तेल उत्पादक देश प्रतिदिन 9.7 मिलियन बैरल उत्पादन कम करने पर सहमत हुए हैं. इसका मकसद तेल की कीमतों को बढ़ाना है.
रूस और सऊदी अरब के विवाद तथा कोरोना वायरस महामारी के कारण गिरी मांग से कच्चे तेल की वैश्विक कीमतें 30 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं. इस फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने खुशी जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'ओपेक प्लस के साथ अहम तेल समझौता हुआ है. इससे अमेरिका में ऊर्जा क्षेत्र की लाखों नौकरियां बच जाएंगी.
ट्रंप ने रूस और सऊदी अरब का शुक्रिया भी अदा किया. उन्होंने आगे लिखा है कि मैं रूस के राष्ट्रपति पुतिन और सऊदी के किंग सलमान का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं. मैंने अभी ओवल ऑफिस से उनसे बात की है. सभी के लिए बढ़िया डील हुई है.
(रॉयटर्स)
इससे पहले ओपेक और गैर ओपेक के तेल उत्पादक देशों के बीच काफी खींचतान चली थी. बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन लाने के मकसद से तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक (OPEC) और रूस (Russia) ने तेल के उत्पादन में एक करोड़ बैरल रोजाना कटौती करने का करार किया है.
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दुनिया में रोजाना तेल की आपूर्ति तकरीबन 10 करोड़ बैरल है, जबकि कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण चरमराई आर्थिक गतिविधियों के कारण तेल की वैश्विक मांग 35 फीसदी जबकि भारत में 25 फीसदी घट गई है.