प्याज (Onion) का तड़का या सलाद, खाने की थाली के जायके में तो बलदाव लाता ही है, साथ ही एक किसान के जीवन में और राजनीति में आए दिन इसके बदले हुए रंग देखने को मिलते हैं. कुछ दिनों पहले तक प्याज 150 रुपये किलो तक बिक रहा था, अब आलम ये है कि इसके खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं.

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दिल्ली जैसे महानगर में प्याज (Onion Price) फुटकर में 15-20 रुपये किलो बिक रहा है. अब किसान को इसके कितने रुपये मिल रहे होंगे, खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है. 

देश में सबसे ज्यादा प्याज उत्पादन करने वाले महाराष्ट्र (Maharashtra) के नासिक (Nashik) की मंडी में चारों तरफ प्याज के ढेर लगे हुए हैं. किसान परेशान हैं कि उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. अगर कोई उनका प्याज लेने के लिए सामने आता है तो वह उसके औने-पौने दाम लगाता है. 

किसानों का कहना है कि उन्हें उनके प्याज का उचित दाम नहीं मिल रहा है. किसानों को कहना है कि जिन दामों पर वह अपना प्याज बेचते रहे हैं, आज उसके आधे दाम भी नहीं मिल रहे हैं.

 

एक किसान ने बताया कि हालात ऐसे हैं कि उन्हें प्याज के सही दाम तो दूर, मंडी में लाने-लेजाने तक की कीमत नहीं मिल रही है. उसने कहा कि अगर ये ही हालात रहे तो उनके सामने भूखो मरने की नौबत आ जाएगी.

नासिक में प्याज 5-6 रुपये किलो तक ही बिक रहा है. नासिक की लासलगांव मंडी (Lasalgaon Pyaj Mandi) में प्याज 500 से 650 रुपये क्विंटल के भाव पर मिल रहा है. किसानों की मानें तो एक क्विंटल प्याज उगाने में 1000 से 1200 रुपये तक की लागत आती है.

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बता दें कि इस बार प्याज की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन लॉकडाउन चलते प्याज की खपत नहीं हो पा रही है. प्याज की सबसे ज्यादा खपत होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट या फिर ब्याह-शादी में होती है. लेकिन कोरोनावारय के कारण लगे लॉकडाउन में ये सभी चीजें बंद पड़ी हुई हैं. इसलिए प्याज की खपत नहीं हो रही है. केवल घरेलू स्तर पर प्याज की खपत हो रही है औप वह भी बहुत कम. क्योंकि वायरस के संक्रमण के डर से बहुत से लोग बाजार से ताजा फल-सब्जी खरीदने से बच रहे हैं. 

नतीजतन, मंडियों से प्याज का उठान नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते किसानों को दाम भी नहीं मिल रहे हैं.