1484 किलो प्याज बेचकर कमाए 4 रुपये, वे भी कृषि मंत्री को दिए दान में
प्याज किसानों की तकलीफें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पुणे के एक किसान को 1484 किलो प्याज बेचने पर सिर्फ 4 रुपये का मुनाफा मिला. गुस्साए किसान ने ये चार रुपये भी केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को मनीऑर्डर करके भेज दिए, साथ में कृषि मंत्री की पत्नी के लिए 50 रुपये की चूड़ियां बतौर उपहार भेज दीं.
प्याज किसानों की तकलीफें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पुणे के एक किसान को 1484 किलो प्याज बेचने पर सिर्फ 4 रुपये का मुनाफा मिला. गुस्साए किसान ने ये चार रुपये भी केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को मनीऑर्डर करके भेज दिए, साथ में कृषि मंत्री की पत्नी के लिए 50 रुपये की चूड़ियां बतौर उपहार भेज दीं.
पीड़ित किसान ने कृषि मंत्री को एक पत्र लिखकर भी किसानों की व्यथा बताई है. पत्र में लिखा है कि कीमतों में गिरावट की वजह से महाराष्ट्र के प्याज किसान परेशान हैं और अगर जल्द ही कोई उपाय नहीं निकाला गया तो हालात और भी ज्यादा खराब हो जाएंगे.
पुणे के शिरुर तालुका के टाकलीहाजी गाव में रहने वाले संजय बारहते इस बात पर भड़के हुए हैं कि जिस प्याज को उगाने के लिए 2-3 महिने तक पसीना बहाया. उस प्याज के बदले में उन्हें सिर्फ 4 रुपये मिले हैं. प्याज की मात्रा भी कम नहीं थी, पूरे 1484 किलो प्याज बेचने के बाद उन्हें मिले सिर्फ चार रुपये.
कृषि मंत्री को भेजा मनीऑर्डर
संजय ने 38 बोरियां में भरकर अपना प्याज मंडी में भेजा और जब उसके बदले में चलान और चार रुपये आए तो वह घुस्सा हो गए. उन्होंने तुरंत चार रुपये का मनीऑर्डर केंद्रीय कृषी मंत्री राधामोहन सिंह को कर दिया. संजय की पत्नी मनीषा ने भी मंत्री के पत्नी के लिए चूड़ियां भेजीं और यह सब करने के लिए 50 रुपये लगे जो उन्होंने अपने पास से दिए थे.
संजय बारहते का कहना है कि उन्होंने 1458 किलो प्याज बिक्री के लिए मार्केट में भेजा था. उन्होंने बताया कि इस प्याज की बिक्री से उन्हें कुल 2362 रुपये मिले. यानी जो प्याज हम बाजार से कम से कम 20 रुपये किलो में खरीद कर खा रहे हैं, किसान को उसके महज 1-2 रुपये ही मिल रहे हैं.
बाजार भेजने में खर्च हुए 2358 रुपये
संजय ने बताया कि प्याज को मार्केट लाने में 1280 रुपये खर्च हुए. तुलाई के 62 रुपये देने पड़े. बारदाने पर 896 रुपये खर्च हुए. मजदूरी के 108 रुपये देने पड़े. इस तरह 1458 किलो प्याज की बिक्री में कुल 2358 रुपये खर्च हुए और उन्हें बेचकर मिले 2362 रुपये. यानी सारा खर्चा काटकर हाथ आए महज 4 रुपये. संजय ने बताया कि यह खर्च तो प्याज को सिर्फ बाजार लाने का था. अगर इसमें बीज, सिंचाई, खाद, दवा और उनकी मेहनत को भी जोड़ लिया जाए तो प्याज की लागत का अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है.
संजय की पत्नी मनीषा बारहते का कहना है कि 4 रुपये में चार लोगों का परिवार कैसे चलेगा, इस पर सरकार को विचार करना चाहिए. यह हाल अकेले संजय का नहीं है, बल्कि तमाम उन किसानों का है जिन्होंने प्याज और लहसुन की खेती की है.
प्रधानमंत्री को भेजा मनीऑर्डर
इससे पहले भी नासिक के एक किसान को 750 किलो प्याज बेचकर महज 1064 रुपये मिले थे, जिसे उसने प्रधानमंत्री के नाम मनीऑर्डर कर दिया था. निपाड़ तहसील के किसान संजय साठे को 1.40 रुपये किलो के हिसाब से अपना प्याज बेचना पड़ा था.
(पुणे से हेमंत चोपड़े की रिपोर्ट)