New F&O Rules: आखिरकार शेयर बाजार में F&O Trading (Future & Options) को लेकर बाजार नियामक SEBI ने सर्कुलर जारी कर दिया है. इसे लेकर सेबी की ओर से बार-बार सजग किया जा रहा था और आखिरकार 1 अक्टूबर को सर्कुलर जारी कर दिया गया है. F&O से जुड़े ज्यादातर नियम 20 नवंबर से प्रभावी होने वाले हैं, लेकिन इसे लेकर बाजार में डर बन रहा है कि ये बड़ा निगेटिव ट्रिगर साबित होगा और बाजार गुरुवार को बड़ी गिरावट देखेंगे, यहां तक कि बाजार में लोअर सर्किट भी लग सकता है.

क्या कहता है SEBI का F&O पर सर्कुलर?

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SEBI ने अपने नए नियमों के तहत कहा है कि हर एक्सचेंज की एक हफ्ते में 1 वीकली एक्सपायरी होगी. वीकली एक्सपायरी घटाने का नियम 20 नवंबर से लागू होगा. 1 फरवरी से ऑप्शंस बायर से अपफ्रंट प्रीमियम लिया जाएगा. कैलेंडर स्प्रेड बेनिफिट भी 1 फरवरी से खत्म होगा. लॉन्च के समय कम से कम कॉन्ट्रैक्ट साइज 15 लाख होगा और फिर समीक्षा के समय कॉन्ट्रैक्ट साइज 15-20 लाख होगा. वर्तमान में मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक है, जिसे अंतिम बार 2015 में तय किया गया था. कॉन्ट्रैक्ट साइज का नियम भी 20 नवंबर से लागू होगा.

1 अप्रैल से इंट्राडे पोजीशन लिमिट की निगरानी होगी. एक्सपायरी के करीब शॉर्ट पोजीशन पर 2% अतिरिक्त ELM (Extreme Loss Margin) लगेगा और और नियम 20 नवंबर से प्रभावी होगा. वैसे, सेबी ने स्ट्राइक प्राइस सीमित करने का प्रस्ताव नहीं लागू किया है. ऐसा कहा जा रहा है कि सेबी के इन नियमों से रिस्क मैनेजमेंट में सुधार होगा और डेरिवेटिव बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी.

क्या बाजार में लगेगा लोअर सर्किट?

मंगलवार को बाजार बंद होने के बाद आई रिपोर्ट के बाद अब गुरुवार के कारोबारी सत्र पर नजर रहेगी. इस दिन निफ्टी की वीकली एक्सपायरी होगी. F&O Trading को लेकर जो बड़े डर हैं, वो ये कि इससे रिटेल निवेशकों का हौसला खत्म होगा और वो पैसा नहीं डालेंगे. 

इस डर को लेकर मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा. बाजार में इन नियमों के चलते कोई लोअर सर्किट नहीं लगेगा. रिटेल F&O में ट्रेड नहीं कर पाएगा, इस डर पर उन्होंने कहा कि बदलाव बस इतना होगा कि निवेशक को ऑप्शन खरीदने के लिए पहले पैसा देना होगा, पहले जो आप बाद में भी पैसा दे सकते थे, वो प्रैक्टिस खत्म हो जाएगी. इन बदलावों से मार्जिन और वॉल्यूम पर असर पड़ सकता है, लेकिन निवेश खत्म हो जाएगा या बाजार गिर जाएंगे, ऐसी कोई दिक्कत वाली बात नहीं होनी चाहिए.

वैसे भी बाजार में रिएक्शन के लिए टाइम है, ये नियम नवंबर से लागू होंगे. उन्होंने कहा कि बाजार में गिरावट आने के पीछे कई बड़े ट्रिगर्स भी हो सकते हैं- जैसे अमेरिकी बाजारों में गिरावट, इजरायल-लेबनान तनाव, कच्चे तेल का अचानक से बढ़ जाना, FIIs का चीन में शिफ्ट होना, ऐसे कई बड़े ट्रिगर्स हैं, जिनपर फोकस होना चाहिए. 

सेबी के एक हालिया रिपोर्ट में सामने आया था कि एक करोड़ से अधिक व्यक्तिगत F&O Traders में से 93 प्रतिशत को वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2023-24 तक 3 सालों में प्रति व्यापारी करीब दो लाख रुपये का औसत नुकसान हुआ (लेनदेन लागत सहित). वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2023-24 के बीच 3 साल की अवधि में व्यक्तिगत व्यापारियों का कुल घाटा 1.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया.