मदरसन सुमी: एक शेयर जो दे सकता है तगड़ा मुनाफा, लेकिन कुछ जोखिम भी हैं
शेयर बाजार में इस समय कई शेयर ऐसे हैं, जिनमें गिरावट तो बहुत आई है, लेकिन क्या ये गिरावट कमाई का मौका है या इन शेयरों से दूर रहना चाहिए. ये शेयर वैल्युएशन के हिसाब से तो बहुत आकर्षक हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या कंज्युमर सेंटिमेंट्स और फंडामेंटल्स भी उतने ही आकर्षक हैं. जी बिजनेस के कार्यक्रम 'मौका या धोखा' में ऐसे ही एक शेयर मदरसन सुमी (Motherson Sumi) के प्रदर्शन और संभावनाओं के बारे में देवांशी अशर ने बताया. उन्होंने बताया कि मदरसन सुमी अपने उच्चतम स्तर से करीब 30-40% तक गिर चुका है. मदरसन सुमी के पक्ष में सबसे बड़ी बात है सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देना.
शेयर बाजार में इस समय कई शेयर ऐसे हैं, जिनमें गिरावट तो बहुत आई है, लेकिन क्या ये गिरावट कमाई का मौका है या इन शेयरों से दूर रहना चाहिए. ये शेयर वैल्युएशन के हिसाब से तो बहुत आकर्षक हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या कंज्युमर सेंटिमेंट्स और फंडामेंटल्स भी उतने ही आकर्षक हैं. जी बिजनेस के कार्यक्रम 'मौका या धोखा' में ऐसे ही एक शेयर मदरसन सुमी (Motherson Sumi) के प्रदर्शन और संभावनाओं के बारे में देवांशी अशर ने बताया. उन्होंने बताया कि मदरसन सुमी अपने उच्चतम स्तर से करीब 30-40% तक गिर चुका है. मदरसन सुमी के पक्ष में सबसे बड़ी बात है सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देना.
उन्होंने बताया कि सरकार जिस तरह इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दे रही है, उससे मदरसन सुमी के पक्ष में कंज्युमर सेंटिमेंट्स काफी सुधरे हैं और बीएस-VI नियम लागू होने से कंपनी के नतीजे सुधरेंगे. ऐसे में मदरसन सुमी के शेयर काफी आकर्षक लग रहे हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों के आने से मदरसन सुमी की कंपोनेंट सप्लाई बढ़ेगी.
इलेक्ट्रिक व्हीकल के नए नियमों से कंपनी द्वारा बनाए जाने वाले वायर हार्निस की कीमतें 20-50% तक बढ़ेंगी. इसके साथ ही वायर हार्निस का इस्तेमाल भी काफी अधिक बढ़ जाएगा. कंपनी के पास के पास 1.47 लाख करोड़ रुपये की मजबूत आर्डर बुक है. कंपनी के कर्ज में लगातार कमी आ रही है और कर्ज के बावजूद फ्री कैश फ्लो बना हुआ है.
क्या हैं रिस्क
मदरसन सुमी के लिए सबसे बड़ा रिस्क है ग्लोबल ऑटो सेक्टर में मंदी. इसके लिए ट्रेड वार के चलते एक जोखिम बना हुआ है. इसके चलते यूरोप और चीन के बाजारों में धीमापन दिख सकता है. मदरसन सुमी की करीब 85 प्रतिशत आय अंतरराष्ट्रीय बाजारों से आती है. ये एक बड़ा रिस्क है. घरेलू बाजार में भी मांग में कमी आती दिख रही है. इसके चलते कंपनी के मार्जिन पर बहुत अधिक दबाव बना हुआ है. लगातार तीन साल से मार्जिन में कमी आ रही है.