खरीफ सीजन की बुआई का काम पूरा हो चुका है. अगस्त में मॉनसून में सुधार होने से खरीफ का जो रकबा जुलाई में पिछड़ गया था, अब लगभग पूरा हो चुका है. अब तक 926 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई हो चुकी है. पिछले साल इस सीजन में 966.39 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी. पिछले साल के मुकाबले इस साल केवल 4.5 फीसदी बुआई कम हुई है. 

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दलहनी फसलों की बात करें तो इस साल 3.51 फीसदी कम बुआई हुई है. तिहलनी फसलों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. बीते साल के मुकाबले इस बार केवल 0.75 फीसदी ही कम रकबे में तिहलनी फसलों की बुआई हुई है. मोटे अनाज में 0.30 फीसदी की कमी दर्ज हुई है. 

दलहन में भी सुधार

जून और जुलाई में कमजोर मॉनसून के कारण दलहन की बुआई काफी पिछड़ गई थी, लेकिन मध्य जुलाई के बाद मॉनसून में हुए सुधार से दलहनी फसलों की बुआई में भी तेजी आई है. दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल के मुताबिक, 3-4 फीसदी की कमी से उत्पादन पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता है, क्योंकि भारत में दलहन का काफी स्टॉक है. 

 

उन्होंने बताया कि थोड़ी बहुत परेशानी यह है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान, गुजरात में अगस्त के महीने में ज्यादा बारिश हुई है. इसलिए यहां अब मौसम का खुलाना बहुत जरूरी है. क्योंकि फसल पिछले 10-15 दिनों से लगातार बारिश में खड़ी हुई है.

यह स्थिति धान के लिए तो अच्छी है, लेकिन दलहनी फसलों के लिए नहीं. अगर अब भी मौसम नहीं खुलता है तो इसका पैदावार पर कुछ उल्टा असर पड़ सकता है. लेकिन अभी तक के हालात में फसल बहुत अच्छी है और पैदावार भी अच्छी रहेगी. 

 

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सोयाबीन और चने का वायदा कारोबार

पिछले कुछ दिनों में चना में काफी गिरावट देखने को मिली है. वर्तमान में चना का भाव 4265 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास ट्रेड कर रहा है. मार्केट एक्सपर्ट 4240 के स्तर पर इसे खरीदने की सलाह दे रहे हैं. सोयाबीन में भी सिंतबर के सौदे के लिए खरीद करनी चाहिए. इसमें 3720 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी देखने को मिल सकती है. 

फसल                        पिछले साल (लाख हेक्टेयर)                 इस साल (लाख हेक्टेयर)         रकबा (फीसदी)

धान की बुआई                        338                                                  301                               (-10.94)

दलहन की बुआई                    125                                                  121                                (-3.51)

तिलहन की बुआई                   165                                                  164                                (-0.75)

मोटा अनाज की बुआई             160                                                  159.5                             (-0.30)

कॉटन की बुआई                     115                                                  122                                (+5.57)

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डीएन पाठक के मुताबिक, हमारे यहां सोयाबीन का उत्पादन मांग से ज्यादा है. इसलिए 20-25 लाख टन सोयाबीन का एक्सपोर्ट होना जरूरी है. उन्होंने मांग उठाई है कि सरकार को सोयाबीन एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना चाहिए. अगर एक्सपोर्ट नहीं होगा तो किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिलेगा.