SEBI New rules for rating agencies: मार्केट रेग्‍युलेटर सेबी (Sebi) रेटिंग एजेंसियों के लिए नए नियम लेकर आ रहा है. सेबी ने हितों का टकराव टालने के मकसद से यह पहल की है. रेग्‍युलेटर यह सुनिश्चित करने की तैयारी में हैं कि बिजनेस बढ़ाने के चक्‍कर में क्रेडिट रेटिंग से समझौता न हो. सेबी के नए नियम 1 जनवरी 2023 से लागू हो जाएंगे. 

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जानकारी के मुताबिक, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और उनकी नॉन रेटिंग सहयोगी कंपनियों के बीच पर्याप्त लीगल बैरियर जरूरी है. क्या जानकारी आपस में साझा होगी और क्या नहीं, इसके लिए लिखित में अंदरूनी नियम तय करना होगा. नए नियमों के मुताबिक क्या रिसोर्स, कर्मचारी, इंफ्रा आपस में साझा हो रहे हैं, ये भी लिखित में होना चाहिए. सहयोगी कंपनी की वजह से रेटिंग की स्वतंत्रता प्रभावित न हो, इसके इलिए क्या उपाय किए गए इसकी जानकारी देनी होगी.

अलग-अलग वेबसाइट जरूरी 

सेबी के नए नियम के मुताबिक, अगर रेटिंग और सहयोगी नॉन रेटिंग कंपनी के बीच समान डायरेक्टर, एमडी, सीईओ होंगे, तो हर महीने अपडेट देना अनिवार्य होगा. वहीं, रेटिंग एजेंसियों और उनकी नॉन रेटिंग कंपनियों की वेबसाइट अलग-अलग होनी चाहिए. रेटिंग एजेंसियों से जुड़ी नॉन रेटिंग कंपनियों को रेटिंग स्केल के इस्तेमाल की मनाही होगी. नए नियम 1 जनवरी 2023 से लागू होंगे. 

निवेशकों के हित में उठाया बड़ा कदम

हाल ही में शेयर बाजार के निवेशकों के हित में मार्केट रेग्‍युलेटर सेबी ने एक बड़ा कदम उठाया है. सेबी ने निवेशकों के शेयरों को और सुरक्षित करने के लिए नया नियम जारी किया है. सेबी ने शेयरों के पे इन की जांच के लिए सर्कुलर जारी किया है. इसके अंतर्गत अब डिपॉजिटरी क्लाइंट के शेयर तभी ब्रोकर के खाते में ट्रांसफर करेंगे, जब इसकी क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और क्लाइंट के दिए इंस्ट्रक्शन से इसकी मिलान हो जाएगी.

सेबी का सर्कुलर 25 नवंबर से लागू माना जाएगा. सर्कुलर के मुताबिक, अब क्लाइंट की नेट डिलीवरी ऑब्लिगेशन से मिलान के बाद ही शेयर ट्रांसफर किए जाएंगे. इसके लिए देखा जाएगा कि क्लाइंट ने खुद इंस्ट्रक्शन दिया है, या फिर उसकी तरफ से दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी वाले व्यक्ति ने इंस्ट्रक्शन दिया है, या फिर डीमैट डेबिट/प्लेज इंस्ट्रक्शन है. 

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