KARVY Stock Broking Case: कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग मामले (KARVY Stock Broking Case) में चेयरमैन सी पार्थसारथी की कुछ ही दिन पहले गिरफ्तारी हुई थी. इसके बाद गुरुवार को कंपनी के दो और शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. 

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ग्राहकों के प्रतिभूतियों को जबरन गिरवी रखकर बैंक से गलत तरीके से धन जुटाने के मामले में कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड (KARVY Stock Broking Pvt Ltd) के सीईओ राजीव रंजन सिंह (Rajiv Ranjan Singh) और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) जी कृष्ण हरि (G. Krishna Hari) को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है. 

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KARVY पर हैं ये आरोप

KARVY पर क्लाइंट्स के शेयर उनकी मर्जी के बिना गिरवी रखकर लोन लेने का आरोप है. कंपनी के सीईओ राजीव रंजन सिंह पर 2014 से 2019 के बीच अनअथराइज्ड ट्रांजैक्शन का भी आरोप है. वहीं कंपनी के CFO पर गिरवी रखे गए शेयरों से मिले लोन को दूसरे खातों में ट्रांसफर करने का आरोप है. पुलिस के मुताबिक कंपनी ने इन पैसों को 9 अलग फर्जी कंपनियों में ट्रांसफर किया है.

कंपनी के चेयरमैन की हो चुकी है गिरफ्तारी

पुलिस ने इससे पहले 19 अगस्त को कार्वी के चेयरमैन सी पार्थसारथी (C Parthasarathy) को इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) के 137 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. KARVY Group के प्रमोटर सी पार्थसारथी को बैंक के कर्ज नहीं चुकाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

HDFC बैंक ने भी लगाए हैं आरोप

HDFC बैंक ने भी पार्थसारथी के खिलाफ ऐसे ही मुकदमे दर्ज कराए हैं. HDFC बैंक ने अपनी शिकायत में पार्थसारथी पर आरोप लगाया है कि उनके कार्वी ग्रुप (KARVY Group) ने अवैध रूप से अपने ग्राहकों के शेयरों को गिरवी रखकर बैंक से कर्ज लिया.

अधिकारियों ने बताया कि कार्वी ग्रुप ने इस कर्ज की राशि को अन्य अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिया और बाद में कर्ज की राशि के लिए खुद को डिफॉल्ट कर लिया. बैंक ने अपने शिकायत में आरोप लगाया है कि कार्वी ने कुल 350 करोड़ रुपये के लिए खुद को डिफॉल्ट किया है. 

BSE ने रद्द की थी सदस्यता

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने नवंबर 2019 में कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग को डिफॉल्टर घोषित कर उसे अपने ब्रोकरेज हाउस की सदस्यता से हटा दिया था. जिसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने भी कार्वी (KARVY) को अपने ब्रोकरेज की सदस्यता से बाहर कर दिया था.

कार्वी ग्रुप (KARVY Group) को नवंबर 2019 में ही नए क्लाइंट लेने से रोक दिया गया था, क्योंकि यह पाया गया था कि कार्वी कथित तौर पर अपने ग्राहकों के 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रतिभूतियों का गलत इस्तेमाल कर रहा है.