Trafiksol SME IPO: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने SME कंपनी ट्रैफिकसोल (Trafiksol) को निवेशकों के पैसे ब्याज समेत लौटाने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि अक्टूबर में ट्रैफिकसोल के आईपीओ दस्तावेज में दी गई डीटेल्स की जांच की गई थी. इसके बाद सेबी ने बीएसई को आईपीओ पर रोक लगाने का निर्देश दिया था. आईपीओ के जरिए कंपनी 45 करोड़ रुपए जुटाने वाली थी. एकादृष्ट कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड इस आईपीओ की केवल एकमात्र बुक रनिंग लीड मैनेजर (BRLM) है. 

Trafiksol SME IPO: अलग डीमैट अकाउंट में शेयर करने होंगे ट्रांसफर

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सेबी के आदेश के मुताबिक IPO में जिनको शेयर अलॉट हुए उनको एक हफ्ते में ब्याज सहित लौटाने होंगे.  BSE और मर्चेंट बैंकर को रकम वापसी की निगरानी का जिम्मा दिया गया है. रकम वापसी के साथ डिपोजिटरी को अलग डीमैट अकाउंट में शेयर ट्रांसफर करना होगा. कंपनी फिर तय प्रक्रिया के तहत निवेशकों को जारी शेयर रद्द कराएगी. BSE को स्मॉल इन्वेस्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (SIREN) से एक शिकायत मिली, जो ट्रैफिकसोल के शेयरों के एक्सचेंज में लिस्ट होने से एक दिन पहले की थी

Trafiksol SME IPO: एस्क्रो खाते में रखी जाएगी IPO की रकम

सेबी ने अंतरिम आदेश में BSE से कहा है कि आईपीओ से मिली राशि को एक ब्याज वाले एस्क्रो खाते में रखा जाए,और जब तक आगे कोई सूचना न मिले, तब तक ट्रैफिकसोल या उसके सहयोगियों को इस पैसे का उपयोग करने की अनुमति न दी जाए. सेबी के मुताबिक ट्रैफिकसोल जानबूझकर एक संदिग्ध थर्ड-पार्टी वेंडर (TPV) द्वारा जमा किए गए फर्जी दस्तावेजों पर निर्भर रहा, ताकि अपने प्रॉस्पेक्टस में सॉफ्टवेयर खरीद के लिए निर्धारित ₹17.7 करोड़ को सही ठहराया जा सके. सेबी के मुताबिक TPV एक शेल कंपनी है.

Trafiksol SME IPO: 345 गुना ज्यादा ओवर सब्सक्राइब हुआ था शेयर

ट्रैफिकसोल ने अपना पक्ष रखते हुए ये दावा किया कि उसने केवल TPV से एक कोटेशन हासिल किया था, और उसे अपनी खरीद नीति में बताई गई कठोर प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद चुना गया था, और यह कि TPV केवल एक मध्यस्थ संस्था थी जो सॉफ्टवेयर विकास का सब-कॉन्ट्रैक्ट करेगी. हालांकि, ट्रैफिकसोल ऐसी संस्था को शामिल करने का एक भी विश्वसनीय कारण बताने में विफल रही है. 45 करोड़ रुपए का आईपीओ 345 गुना से ज़्यादा ओवर सब्सक्राइब हुआ था. इसके लिए ₹10,000 करोड़ से ज़्यादा की बोली लगाई गई थी.