वैश्विक उतार-चढ़ाव के बीच भारत के प्राथमिक बाजार में तेजी का दौर जारी है. सितंबर के आखिरी दिन रिकॉर्ड 15 कंपनियों ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास इनिशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाने के लिए ड्राफ्ट पेपर जमा कराए हैं. बीते महीने 41 कंपनियों ने आईपीओ लाने के लिए ड्राफ्ट पेपर जमा कराए गए हैं. यह किसी एक महीने में बाजार नियामक के पास ड्राफ्ट पेपर जमा करने का सबसे बड़ा आंकड़ा है.

इस साल 1.5 लाख करोड़ का IPO आने की उम्मीद

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बाजार के जानकारों के मुताबिक, कंपनियों द्वारा बड़ी संख्या में ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जमा करने की वजह 31 मार्च तक के ऑडिटेड फाइनेंशियल का 30 सितंबर को एक्सपायर होना था. पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक महावीर लुनावत ने कहा, "हमारा अनुमान है कि इस साल 1.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की पूंजी आईपीओ के द्वारा जुटाई जाएगी, क्योंकि आने वाले समय में कई मल्टीनेशनल कंपनियों के पब्लिक इश्यू बाजार में आने वाले हैं."

फेड रेट कट के बाद इन्फ्लो बढ़ा है

जानकारों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार ऑल-टाइम हाई के करीब बने हुए हैं. इसकी वजह अमेरिकी फेड द्वारा सितंबर के मध्य में ब्याज दरों में 50 आधार अंक की कटौती करना है, जिसके कारण बाजार में पैसे का प्रवाह बढ़ा है.

घरेलू निवेशकों की ओर से लगातार खरीदारी भी शेयर बाजार में तेजी की बड़ी वजह है.

पिछले 1 साल में 18 अरब डॉलर का इन्फ्लो आया है

इसके अतिरिक्त जून में जेपी मॉर्गन की ओर से बॉन्ड इंडेक्स में भारत को शामिल किया गया था, जिससे पिछले एक साल में देश में 18 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया है. अब अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती के बाद इसके और अधिक बढ़ने की संभावना है. एनालिस्ट का मानना है कि बॉन्ड यील्ड का कम होना और कर्ज की लागत में कमी के कारण भारत का डेट मार्केट विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक होता जा रहा है. ऐसे में हर महीने 2 से 3 अरब डॉलर का विदेशी निवेश भारत आ सकता है.