Exclusive: छोटे इश्यू के लिस्टिंग भाव में अंतर की दिक्कत दूर होगी, IPO की लिस्टिंग प्राइस में अंतर घटेगा
New Rules for IPO Listing: आमतौर पर एक्सचेंजेज पर शेयरों की कीमत में कुछ पैसों का ही अंतर रहता है. लेकिन इस इश्यू के प्राइस में भारी अंतर से सिस्टम में खामी का अंदाजा लगा. Sebi अब इस समस्या को दूर करने की कोशिश कर रही है.
New Rules for IPO Listing: इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) के नियम में बड़ा बदलाव होने वाला है.250 करोड़ रुपये या उससे कम के आईपीओ (IPO) में लिस्टिंग के बाद एक्सचेंजेज पर कीमतों में रहने वाले भारी अंतर को दूर किया जाएगा. ज़ी मीडिया को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक सेबी (Sebi) इस समस्या का उपाय निकालने पर विचार कर रही है. इसके लिए दोनों एक्सचेंजों के प्री-ओपनिंग सेशन में आने वाले इक्विलिब्रियम प्राइस का औसत निकालकर भाव तय किया जा सकता है, ताकि दोनों एक्सचेंज में भाव में अंतर न रहे. अभी इक्विलिब्रियम प्राइस के 5 फीसदी का सर्किट फिल्टर लागू होता है. जबकि 10 दिन तक इंट्रा डे ट्रेडिंग की इजाजत भी नहीं होती. ऐसे में एक ही इश्यू के भाव में अलग अलग एक्सचेंज पर कीमतों में अंतर बना रहता है.
ऐसे इश्यूज की प्राइस डिस्कवरी में खामी का सबसे बड़ा उदाहरण इसी साल अप्रैल में लिस्ट हुए वेरांडा लर्निंग सोल्यूशंस के इश्यू में दिखा था. कंपनी का शेयर 137 रुपये के इश्यू प्राइस पर जारी हुआ था. लेकिन NSE में एक घंटे के प्री-ओपनिंग सेशन में इक्विलिब्रियम प्राइस 125 रुपये आया था. जबकि BSE में ये 157 रुपये था. यानि 137 रुपये के इश्यू प्राइस वाले IPO में इक्विलिब्रियम प्राइस में ही 32 रु का अंतर था. लिस्टिंग के दिन इश्यू के क्लोजिंग प्राइस में भी अच्छा खासा अंतर दिखा था. NSE पर इश्यू की क्लोजिंग 160 रु पर हुई थी. जबकि BSE पर लिस्टिंग के दिन इश्यू 131 रु पर बंद हुआ था.
दूर करने की कोशिश कर रही सेबी
आमतौर पर एक्सचेंजेज पर शेयरों की कीमत में कुछ पैसों का ही अंतर रहता है. लेकिन इस इश्यू के प्राइस में भारी अंतर से सिस्टम में खामी का अंदाजा लगा. Sebi अब इस समस्या को दूर करने की कोशिश कर रही है. इस मामले को लेकर सेबी की सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमेटी की बैठक में चर्चा हुई . जिसमें दोनों एक्सचेंजों के भाव का औसत निकालने पर फैसला हुआ.
250 करोड़ से अधिक के IPO में सर्किट फिल्टर 20 फीसदी का होता है. ऐसे में इश्यू में लिस्टिंग में अंतर होने पर भाव को आगे एडजस्ट होने का काफी मौका रहता है. लेकिन 5 फीसदी का सर्किट फिल्टर होने पर भाव में समानता आने में दिक्कत होती है.
छोटे IPO की लिस्टिंग प्राइस में अंतर घटेगा
- 250 Cr रु तक के IPO में लिस्टिंग प्राइस में अंतर घटेगा
- दोनों एक्सचेंजों के भाव का औसत निकालकर ही लिस्टिंग
- कई बार एक्सचेंजेज़ के इक्विलिब्रियम प्राइस में भारी अंतर
- ऐसे IPO में इक्विलिब्रियम प्राइस से 5% तक ही मूविंग रेंज
- प्राइस डिस्कवरी प्रक्रिया को दुरुस्त करने के लिए नियम
- ऐसे इश्यूज में पहले 10 दिन तक इंट्रा डे ट्रेड नहीं होते हैं
- प्राइस अंतर का कई बार लोग नाजायज फायदा उठाते हैं
उदाहरण: वेरांडा लर्निंग सॉल्यूशंस IPO
- BSE में इक्विलिब्रियम प्राइस- 157 रु
- NSE में इक्विलिब्रियम प्राइस- 125 रु
- IPO में इश्यू प्राइस- 137 रु
- NSE में लिस्टिंग डे क्लोजिंग- 160 रु
- BSE में लिस्टिंग डे क्लोजिंग- 131 रु