चुनावी नतीजों के दिन बाजार में क्यों मचा था हाहाकार; निवेशकों के ₹30 लाख करोड़ डूबने की असली वजह अब आई सामने
4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे और इस दौरान शेयर बाजार में भयंकर गिरावट देखने को मिली थी और निवेशकों के कुल 30 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 22 जुलाई को देश का इकोनॉमिक सर्वे पेश किया, इस दौरान देश की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी दी गई. इकोनॉमिक सर्वे के दौरान ही संसद का मॉनसून सत्र शुरू हो गया है. मॉनसून सत्र के दौरान सरकार ने विपक्ष नेताओं के कई सवालों के जवाब दिए. सवालों की लंबी फेहरिस्त में एक सवाल ये भी था कि चुनावी नतीजों के दौरान रिटेल इन्वेस्टर का जो 30 लाख करोड़ रुपए गंवाए थे, क्या उसकी जांच हुई है? अगर हुई है तो सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. बता दें कि 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए थे और इस दौरान शेयर बाजार में भयंकर गिरावट देखने को मिली थी और निवेशकों के कुल 30 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.
सरकार ने दिया ये जवाब
इस सवाल पर सरकार ने संसद में जवाब देते हुए कहा कि 16 मार्च 2024 को लोकसभा चुनावों की डेट का ऐलान किया था और उसके बाद से सेंसेक्स और निफ्टी 50 में तेजी का ट्रेंड देखने को मिला. 16 मार्च से लेकर 3 जून 2024 तक सेंसेक्स 5.3 फीसदी और निफ्टी 50 इंडेक्स 5.6 फीसदी तक बढ़ा था. हालांकि इलेक्शन रिजल्ट्स वाले दिन (4 जून) सेंसेक्स और निफ्टी 50 में तेज गिरावट दर्ज हुई. इस दौरान सेंसेक्स में 5.7 फीसदी और निफ्टी 50 में 5.9 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई.
3 दिन में हुई रिकवरी
सरकार ने आगे जवाब देते हुए कहा कि 4 जून की गिरावट के तीन दिन में ही मार्केट ने रिकवरी कर दी थी. 4 जून से लेकर 18 जुलाई 2024 तक मार्केट ने काफी रिकवरी हासिल की और सेंसेक्स 12.9 फीसदी और निफ्टी 50 इंडेक्स 13.3 फीसदी तक चढ़ा.
सरकार ने कहा कि एनएसई और बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का 30 लाख करोड़ रुपए मार्केट कैपिटलाइजेशन जो घटा था, वो 5 दिन की अवधि में रिकवर हो गया और तब से लेकर 18 जुलाई तक ये बढ़कर 59 लाख करोड़ रुपए हो गया है.
इन फैक्टर पर काम करता है बाजार
सरकार ने कहा कि स्टॉक मार्केट में मूवमेंट या हलचल इन्वेस्टर की धारणा पर निर्भर करता है. लेकिन इसके अलावा और भी कई फैक्टर्स होते हैं, जिनकी वजह से बाजार में हलचल होती रहती है. इसमें ग्लोबल इकोनॉमिक सिनेरियो, विदेशी निवेशकों का कैपिटल फ्लो, घरेलू और माइक्रो इकोनॉमिक पैरामीटर और दूसरे कॉरपोरेट परफॉर्मेंस जैसी स्थितियां शामिल हैं.