इंडियन एनर्जी एक्सचेंज और पावर एक्सचेंज आफ इंडिया (PXIL) में अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्रों की बिक्री चालू वित्त वर्ष में 22 प्रतिशत घटकर 1.25 करोड़ इकाई रही. इसका कारण आपूर्ति में कमी है. इससे पूर्व वित्त वर्ष 2017-18 में यह 1.61 करोड़ थी. मार्च महीने में आरईसी या हरित प्रमाणपत्रों की बिक्री 51 प्रतिशत घटकर 11.78 लाख रही जो पिछले वर्ष इसी महीने में 24.26 लाख इकाई थी. 

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इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) और पावर एक्सचेंज आफ इंडिया (PXIL) देश में दो प्रमुख बिजली बाजार हैं जो अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्रों और बिजली के कारोबार में लगे हैं. अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्रों का कारोबार हर महीने के अंतिम बुधवार को होता है.

अक्षय ऊर्जा खरीद बाध्यता (RPO) के तहत बिजली वितरण कंपनियां, सीधे वितरण कंपनियों से बिजली लेने वाले और निजी उपयोग के लिए बिजलीघर लगाने वाले जैसे बड़े ग्राहकों को कुछ मात्रा में हरित ऊर्जा या आरईसी खरीदने होते हैं. वे आरपीओ नियमों को पूरा करने के लिए आरईसी अक्षय ऊर्जा उत्पादकों से खरीद सकते हैं.

बिजली कंपनियों के लिये अक्षय ऊर्जा अनुपात का निर्धारण केंद्रीय तथा राज्य बिजली नियामकीय आयोग करता है. एक अधिकारी ने कहा कि आईईएक्स में मार्च में 9.34 लाख आरईसी कारोबार कारोबार हुआ जो पिछले साल इसी महीने में 20.79 लाख था.

आंकड़ों के अनुसार आईईएक्स में 2018-19 में आरईसी की बिक्री 4 प्रतिशत घटकर 89.55 लाख रही जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 93.29 लाख थी. इसका प्रमुख कारण आरईसी की आपूर्ति में कमी थी.

अधिकारी के अनुसार गैर-सौर तथा सौर आरईसी की आपूर्ति मांग के मुकाबले कम रही. इसी प्रकार, पीएक्सआईएल में चालू वित्त वर्ष में 36.53 लाख आरईसी की बिक्री हुई जो इससे पूर्व वित्त वर्ष 2017-18 में 68.55 लाख थी. बिजली बाजार में मार्च में 2.44 लाख आरईसी का कारोबार हुआ जो पिछले साल इसी महीने में 3.47 लाख थी. आरईसी बाजार आधारित उत्पाद है जिसका मकसद अक्षय ऊर्जा स्रोत और बिजली के क्षेत्र में बाजार का विकास करना है.