खर्चे घटाएं और पोर्टफोलियो चमकाएं, 100 रुपये में खरीदें EIL का शानदार शेयर
इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड एक सरकारी नवरत्न कंपनी है. EIL तेल-गैस कंपनियों के प्रोजेक्ट तैयार करती है और इसमें सरकारी की हिस्सेदारी 52 फीसदी की है,
ईआईएल यानी इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड एक सरकारी नवरत्न कंपनी है. इस कंपनी का बिजनेस मॉडल बहुत कम लोग समझ पाते हैं क्योंकि EIL तेल-गैस कंपनियों के प्रोजेक्ट तैयार करती है. ईआईएल में सरकारी की हिस्सेदारी 52 फीसदी की है, इसलिए इसमें विनिवेश की कोई गुंजाइश नहीं है. इस कंपनी की स्थापना 1965 में हुई थी और वर्तमान में इसके पास 2800 कर्मचारी हैं.
कंपनी का बैलेंस पोर्टफोलियो है क्योंकि, यह कंपनी कंसल्टेंसी और टर्नकी, दोनों तरह के काम करती है. कंसल्टेंसी से कंपनी की आमदनी 53 फीसदी है और टर्नकी से 47 फीसदी आमदनी होती है.
भारत में इस समय 22 रिफाइनरी काम कर रही हैं, जिनमें से 19 रिफाइनरी में ईआईएल का ही कामकाज चलता है. भारत में 11 मेगा पेट्रोकेमिकल्स प्रोजेक्ट काम कर रहे हैं, जिनमें से 10 मेगा पेटकेम प्रोजेक्ट्स लगाए हैं.
ईआईएल के ग्राहकों में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम, ओएनजीसी, एमआरपीएल आदि बड़े-बड़े नाम शामिल हैं.
ग्लोबल ऑर्डर बुक पर नजर डालें तो यह कंपनी केवल भारत के लिए नहीं बल्कि इंटरनेशनल स्तर पर भी काम करती है. यह नाइजिरिया, अफ्रिका, बंगालादेश, मध्य एशिया में भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है. कंपनी के 11,188 करोड़ रुपये के आसपास इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स हैं.
कंपनी की बैलेंस शीट पर नजर डालें तो यह एक कर्ज मुक्त कंपनी है और इसके पास 2661 करोड़ का कैश है. इस नकदी का इस्तेमाल कंपनी आने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए करेगी.
मुनाफे का ट्रेंड
ईआईएल का मुनाफा पिछले 4-5 सालों में लगातार बढ़ रहा है. साल 2016 में यह कंपनी 278 करोड़ रुपये वाली थी जो कि 2017 में बढ़कर 330 करोड़ की हो गई. 2018 में कंपनी ने 383 करोड़, 2019 में 370 करोड़ का मुनाफा कमाया और आने वाले साल के लिए कंपनी ने अपने मुनाफे में 402 करोड़ रुपये का टारगेट रखा है.
क्या हैं टारगेट
रिलायंस सिक्योरिटीज ने 163 का टारगेट रखते हुए इसे खरीदने की सलाह दी है. कोटक सिक्योरिटीज ने 153 और मोतीलाल ओसवाल ने 145 का टारगेट रखते हुए इसके स्टॉक को खरीदने की सलाह दी है. इस समय ईआईएल का स्टॉक 97.70 के स्तर पर चल रहा है.
क्या हैं रिस्क
ईआईएल में निवेश के दौरान रिस्क की बात करें तो रिस्क फैक्टर बहुत कम हैं, लेकिन फिर भी कुछ रिस्क तो हैं ही. जैसे कंपनी में कंसल्टेंसी के मुकाबले टर्नकी की हिस्सेदारी बढ़ रही है और टर्नकी में मुनाफा कम रहता है. कंसल्टेंसी कारोबार में भी पिछले कुछ समय से धीमापन दिखाई दे रहा है.