भारत में बाजार की गहराई पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ गई है.  1 अरब डॉलर से ज्‍यादा मार्केट कैप वाले शेयरों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 500 हो गई है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा कि सबसे बड़े कैप स्टॉक (50 अरब डॉलर से ज्‍यादा) अभी भी कम हैं, ज्यादातर सबसे बड़े कैप भी प्राइवेट सेक्टर में हैं और अच्छी तरह से चलते हैं. जेफरीज का हाल की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के बाद से 1 अरब डॉलर से अधिक मार्केट कैप वाले शेयरों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 500 हो गई है.

घरेलू बाजार ने हर साल दिया औसतन 10% रिटर्न

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जेफरीज ने कहा कि प्रमुख उभरते बाजार (EM) इकोनॉमी में भारतीय इक्विटी मार्केट एकमात्र ऐसा बाजार है, जिसने पिछले 5 साल/10 साल/15 साल/20 साल की अवधि में लगातार 10 फीसदी से ज्‍यादा का सालाना रिटर्न दिया है. ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि 10 फीसदी से ज्‍यादा अमेरिकी डॉलर रिटर्न टिकाऊ प्रतीत होता है, क्योंकि भारत एक मल्टी ईयल सायकल अपट्रेंड देख रहा है. भारत की इक्विटी 2014 के बाद से वैश्विक ईएम सक्रिय फंडों के ओनरशिप में सबसे ज्यादा है.

FII को इनमें करना होगा बदलाव

ब्रोकरेज रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि MSCI EM में भारत का वेट बढ़ गया है, इसलिए विदेशी निवेशकों ने अभी भी भारतीय इक्विटी को उसी अनुपात में नहीं बढ़ाया है, जिसके कारण वैश्विक इमर्जिंग मार्केट फंडों की स्वामित्व वाली स्थिति सबसे कम है, हमारा मानना है कि आगे चलकर इसमें बदलाव होना चाहिए.  इक्विटी में बचत अभी भी भारतीय परिवारों में कुल निवेश का एक छोटा सा हिस्सा है. भारत के घरेलू बचत डेटा के हमारे स्वामित्व एनलिसिस से पता चलता है कि घरेलू संपत्ति और सालाना बचत के प्रतिशत के रूप में इक्विटी होल्डिंग्स और प्रवाह 5 प्रतिशत से कम है.

इन फैक्टर्स पर है नजर 

भारत में म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में लॉन्ग टर्म सेविंग के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ जेफरीज का अनुमान है कि रिटेल से इक्विटी बाज़ारों में स्ट्रक्चरल फ्लो 30-35 अरब डॉलर हर साल है. जेफरीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि बचत पाई के भीतर सिर्फ पुनर्वितरण बाजार में रिटेल फ्लो को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है. इक्विटी में ऑटो-कटौती मासिक प्रवाह (SIP) सालाना वृद्धिशील बैंक जमा का सिर्फ 10 प्रतिशत है और आगे हिस्सेदारी हासिल कर सकता है.

भारत का बज रहा डंका

जेफरीज ने कहा कि न केवल नॉमिनल GDP के मामले में, बल्कि मार्केट कैप के मामले में भी भारत पांचवें स्थान पर है. भारत का मार्केट कैप 4.3 खरब डॉलर है, जो अमेरिका (44.7 खरब डॉलर), चीन (9.8 खरब डॉलर), जापान (6 खरब डॉलर) और हांगकांग (4.8 खरब डॉलर) से पीछे है. भारत की मार्केट कैप जीडीपी के मुकाबले 1.2x है, जो अमेरिका और जापान जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अभी भी कम है, जो क्रमशः 1.9x और 1.4x पर हैं.