देश के IPO मार्केट में साल की पहली तिमाही के दौरान रही सुस्ती, जानिए क्या कहती है रिपोर्ट
इस साल मार्च में खत्म तिमाही के दौरान IPO लॉन्च से 99.5 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई गई. वहीं साल 2021 की पहली तिमाही के दौरान यह आंकड़ा 2.57 अरब डॉलर रहा था.
Indian IPO market: भू-राजनीतिक तनाव, कमोडिटी के बढ़ते दाम और सेंट्रल बैंकों द्वारा मॉनिटरी पॉलिसी को सख्त करने की वजह से शेयर मार्केट में उथलपुथल जारी रही. इन वजहों से इस साल की पहली तिमाही के दौरान भारतीय आईपीओ बाजार में भी सुस्ती छाई रही.
ईवाई की ग्लोबल आईपीओ ट्रेंड रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी से मार्च तक की पहली तिमाही के दौरान भारतीय शेयर बाजार में 16 आईपीओ लॉन्च किये गये. जबकि पिछले साल की समान तिमाही के दौरान 23 आईपीओ लॉन्च हुए थे.
कई वजहों से बाजार में सुस्ती
इस साल मार्च में खत्म तिमाही के दौरान आईपीओ लॉन्च से 99.5 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई गई. वहीं साल 2021 की पहली तिमाही के दौरान यह आंकड़ा 2.57 अरब डॉलर रहा था. आईपीओ के जरिये जुटाई जाने वाली रकम में इस साल पहली तिमाही के दौरान 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. एसएमई सेक्टर ने आलोच्य तिमाही (Quarter under review) में 13 आईपीओ के जरिये 1.75 करोड़ डॉलर की पूंजी जुटाई.
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ईवाई का कहना है कि आईपीओ बाजार में आई इस सुस्ती के कई कारण हैं. भू-राजनीतिक तनाव, शेयर बाजार की उठापटक, आईपीओ लॉन्च के दौरान अत्यधिक वैल्यू वाले शेयरों की वैल्यू में करेक्शन आईपीओ बाजार पर हावी रही. वहीं एनर्जी और कमोडिटी के दामों में तेजी, महंगाई दर में बढ़त और ब्याज दर में बढोतरी की आशंका का भी इसपर असर दिखा. कोविड-19 महामारी ने भी आर्थिक रिकवरी की रफ्तार धीमी की हुई है.
टाल दिए गए कई आईपीओ
बाजार के अस्थिर (Volatile) होने के कारण कई आईपीओ टाल भी दिये गये. आलोच्य तिमाही में स्पेशल पर्पस एक्विजिशन व्हीकल के आईपीओ और यूनीकॉर्न कंपनियों के आईपीओ में गिरावट देखी गई. सर्वाधिक पूंजी इस दौरान अडानी विल्मर, वेदांत फैशन और एजीएस ट्रांजैक्ट टेक्नोलॉजी के आईपीओ ने जुटाई. जबकि कंज्यूमर प्रोडक्ट और रिटेल सेक्टर सर्वाधिक सक्रिय रहे.
ईवाई ने कहा कि निजी बाजार में गतिविधियों में रही तेजी से इस साल की पहली तिमाही के दौरान दस से अधिक कंपनियों को यूनीकॉर्न का दर्जा मिला. प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल का निवेश भी अच्छा रहा. जनवरी-फरवरी 2022 में निवेश पिछले साल की समान अवधि के 4.1 अरब डॉलर की तुलना में दोगुने से अधिक 10.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया.