मोदी सरकार सत्ता में नहीं लौटी तो बाजार में क्या होगा? कैसे बनेगा पैसा? अतुल सूरी के साथ अनिल सिंघवी की खास बातचीत
BIG TRENDS WITH AS: चुनाव के नतीजे जो भी रहे, इनका शेयर बाजार पर असर दिखता है. ज़ी बिज़नेस की खास सीरीज BIG TRENDS WITH AS में मैराथन ट्रेंड्स-PMS के CEO अतुल सूरी ने जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी के साथ इस मसले पर विशेष बातचीत की.
BIG TRENDS WITH AS: मोदी सरकार अपना दूसरा टर्म पूरा करने जा रही है और देश अगले आम चुनाव के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में लगातार दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार चला चुकी बीजेपी अगले आम चुनाव में सहयोगियों के साथ दोबारा वापसी की कोशिश करेगी. चुनाव के नतीजे जो भी रहे, इनका शेयर बाजार पर असर दिखता है. ज़ी बिज़नेस की खास सीरीज BIG TRENDS WITH AS में मैराथन ट्रेंड्स-PMS के CEO अतुल सूरी ने जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी के साथ विशेष चर्चा में कहा कि बाजार और चुनाव का खास रिश्ता है. चुनाव के पहले और बाद में बाजार में आमतौर पर उतार-चढ़ाव रहता है. मोदी सरकार सत्ता में नहीं लौटी तो बाजार को बड़ी गिरावट का डर है. हालांकि बाजार खराब खबर को तुरंत डिस्काउंट कर देते हैं और तेज रिकवरी दिखाते हैं.
बाजार और चुनाव का क्या नाता?
मार्केट गुरु अनिल सिंघवी के साथ बाचचीत में अतुल सुरी ने कहा कि छोटी अवधि में बाजार पर चुनाव का असर दिख सकता है. छोटी अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव दिख सकता है. ऐसे में निवेशकों को उतार-चढ़ाव का फायदा उठाना चाहिए. वे लंबी अवधि का नजरिया रखकर बाजार का ट्रेंड पकड़ें.
बुरी खबर से गिरावट का कितना डर?
अतुल सूरी का कहना है, मोदी सरकार सत्ता में नहीं लौटी तो बाजार को बड़ी गिरावट का डर है. हालांकि, बाजार खराब खबर को तुरंत डिस्काउंट कर देते हैं. खराब खबर पर तेज गिरावट भले आए रिकवरी भी तुरंत आती है. कोविड में बाजार तेजी से गिरे लेकिन फिर कोविड में ही लाइफ हाई भी बना. जिस बाजार ने कोविड झेल लिया उसके लिए चुनाव बड़ी चीज नहीं है.
1999 इलेक्शन के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड
1999 में वाजपेयी सरकार आई थी, उनका विनिवेश पर जोर था. चुनाव के 6 महीने पहले निवेश पर बाजार ने 16% रिटर्न दिया. बाजपेयी सरकार बनने के बाद बाजार में 2% रिटर्न आया. ऐसे में निवेश के लिए इलेक्शन तक रुकते तो चुनाव बाद बड़े पैसे नहीं बनते.
2004 इलेक्शन के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड
मार्केट गुरु अनिल सिंघवी से खास चर्चा में अतुल सूरी ने कहा, 2004 के लोकसभा चुनाव बाजार को समझने के लिए सबसे उपयुक्त है. UPA-1 में बाजार में विनिवेश रुकने के डर से लोअर सर्किट लगा था. UPA-1 आने के बाद बाजार 25% तक लुढ़क गए थे. क्रिस वुड का डर UPA-1 के समय आई तेज गिरावट के चलते है. UPA-1 के समय बाजार 25% गिरे जरूर लेकिन उस साल भी 20% रिटर्न मिले. बाजार को यही डर है कि अगर मोदी सरकार वापस नहीं आई तो क्या होगा.
2009 इलेक्शन के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड
उन्होंने कहा, UPA-2 के बाद 80% रिटर्न दिखे जो कम बेस के चलते थे. 2008 के संकट के चलते 2009 की तेजी बड़ी दिख रही थी. बाजार सिर्फ इलेक्शन से नहीं, ग्लोबल कारणों से भी प्रभावित होते हैं.
2014, 2019 इलेक्शन के 6 महीने पहले-बाद का ट्रेंड
अतुल सूरी ने कहा, चुनाव के 6 महीने पहले ही बाजार 18% दौड़ चुका था. मोदी जी के PM बनने के बाद बाजार 16% और दौड़ा. 6 महीने पहले-बाद मिलाकर बाजार ने कुल 37% रिटर्न दिए. 6 महीने पहले से 6 महीने बाद तक डटे रहने वालों ने जमकर कमाई की. बाजार की उठापटक में बने रहने वालों ने जमकर पैसे बनाए. 2019 इलेक्शन के 6 महीने 10% रिटर्न बने लेकिन 6 महीने बाद सिर्फ 4% रिटर्न मिला. उन्होंने कहा कि बाजार पहले और बाद अच्छे पैसे बनाकर देता है. चुनावी वर्षों के औसत रिटर्न 20 वर्षों के औसत से अच्छे रहे.
इलेक्शन रिजल्ट की उठापटक में क्या करें?
अतुल सूरी ने कहा कि बाजार का बॉटम पकड़ना और फिर निवेश करना आसान नहीं है. बाजार में कम से कम 1 साल का समय जरूर दें. बाजार को समय देंगे तो उठापटक का फायदा मिलेगा.
चुनाव बाद गिरे तो संभलने में कितना समय लगेगा, इन अटकलों पर उन्होंने कहा, बुरी खबर तुरंत डिस्काउंट हो जाती है, फिर बाजार संभलने लगते हैं. नई सरकार भी नीतियों में ज्यादा बड़े बदलाव नहीं कर पाएगी. नई सरकार को लोगों की उम्मीदों के हिसाब से काम करना ही पड़ेगा.
क्रिस वुड की 25% गिरावट की आशंका कितनी सही?
क्रिस वुड की आशंका पर उन्होंने कहा , मोदी सरकार नहीं आई तो गिरावट की संभावना है. इजरायल-हमास युद्ध के बाद भी बाजार गिरकर संभल गए. कितनी भी खराब खबर हो बाजार गिरकर संभल ही जाते हैं.
FII निवेश पर बड़ा असर पड़ेगा?
FII फ्लो बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करता है. FIIs इसलिए नहीं बेच रहे कि उन्हें इंडिया पसंद नहीं. FII निवेश करेंसी, ब्याज दर, EM बास्केट जैसी कई चीजों पर निर्भर है. निवेश के लिए FIIs सिर्फ इलेक्शन पर निर्भर नहीं होते है.
नए निवेशकों के लिए क्या हो चुनावी मंत्र?
अतुल सूरी ने कहा, ऑप्शन राइटिंग में नुकसान का खतरा बहुत ज्यादा है. भारी गैप-डाउन, गैप-अप के रिस्क में ऑप्शन राइटिंग से बचें. सिर्फ निवेश करने वालों के लिए खास दिक्कत नहीं है. जो खरीदें उसकी डिलीवरी लें, F&O से बचें. ऑप्शन राइटिंग नहीं, बल्कि निवेश करें. उठापटक का फायदा उठाने के लिए कुछ पैसे बचाकर रखें. उन्होंने कहा कि इलेक्शन के पहले निवेशित रहें. ये बाजार है, इसमें सारी संभावनाएं मौजूद है. इमोशन से नहीं, आंकड़े देखकर बाजार में कमाई की स्ट्रैटेजी बनाएं.