Hindenburg Research Report: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) और उनके पति धवल बुच (Dhaval Buch) ने शनिवार (10 अगस्त) को हिंडनबर्ग (Hindenburg) द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के संदर्भ में एक बयान जारी किया. बुच दंपती ने कहा, आईआईएफएल वेल्थ मैनेजनेंट फंड में निवेश माधुवी पुरी बुच के सेबी का हिस्सा बनने से दो साल पहले निजी नागरिक के तौर पर किया गया था. 

अदानी समूह की किसी कंपनी में निवेश नहीं 

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सेबी चेयरपर्सन ने कहा, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिस फंड का उल्लेख किया गया है, उसमें निवेश 2015 में किया गया था, जब वे दोनों सिंगापुर में रहने वाले निजी नागरिक थे और यह निवेश माधबी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से लगभग 2 वर्ष पहले किया गया था.  इस फंड में निवेश करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं, जो स्कूल और आईआईटी दिल्ली से हैं और सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3i ग्रुप पीएलसी के पूर्व कर्मचारी होने के नाते, कई दशकों का मजबूत निवेश करियर रखते हैं.  बयान में कहा गया है कि, जैसा कि अनिल आहूजा ने पुष्टि की है, किसी भी समय फंड ने किसी भी अदानी समूह की कंपनी के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया है.

Blackstone के रियल एस्टेट सेगमेंट से संबंध नहीं

2019 में ब्लैकस्टोन प्राइवेट इक्विटी के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में धवल की नियुक्ति सप्लाई चेन मैनेजमेंट में उनकी गहरी विशेषज्ञता के कारण हुई थी. इस प्रकार उनकी नियुक्ति सेबी अध्यक्ष के रूप में माधबी की नियुक्ति से पहले की है. यह नियुक्ति तब से सार्वजनिक डोमेन में है. धवल बुच का प्रमुख निजी इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन (Blackstone) के रियल एस्टेट सेगमेंट से संबंध नहीं. उनकी नियुक्ति के बाद ब्लैकस्टोन ग्रुप को तुरंत सेबी के पास रखी गई माधबी की त्याग सूची में शामिल कर दिया गया.

Sebi में नियुक्ति के बाद इनएक्टिव हों गई दो फर्म

सिंगापुर में रहने के दौरान माधबी द्वारा स्थापित दो परामर्श कंपनियां, एक भारत में और एक सिंगापुर में, सेबी में उनकी नियुक्ति के तुरंत बाद निष्क्रिय हो गईं. ये कंपनिया (सेबी को उनके खुलासे का स्पष्ट रूप से हिस्सा थीं. माधवी की सेबी में नियुक्ति के फौरन बाद उनकी दो सलाहकार कंपनियां निष्क्रिय हो गईं. 

बयान में कहा गया है कि 2019 में धवल के यूनिलीवर से रिटायर होने के बाद, उन्होंने इन कंपनियों के जरिए अपना खुद का कंसल्टेंसी प्रैक्टिस शुरू किया. सप्लाई चेन में धवल की गहरी विशेषज्ञता ने उन्हें भारतीय उद्योग में प्रमुख ग्राहकों के साथ काम करने का मौका दिया. इस प्रकार, इन कंपनियों में अर्जित आय को माधबी के मौजूदा सरकारी वेतन से जोड़ना दुर्भावनापूर्ण है. 

जब सिंगापुर इकाई की शेयरधारिता धवल के पास चली गई, तो एक बार फिर इसका खुलासा न केवल सेबी के समक्ष किया गया, बल्कि सिंगापुर के अधिकारियों और भारतीय कर अधिकारियों के समक्ष भी किया गया.

हिंडनबर्ग को कई उल्लंघनों के लिए नोटिस दिया गया

हिंडेनबर्ग (Hindenburg) को भारत में विभिन्न प्रकार के उल्लंघनों के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. हिंडनबर्ग को कई उल्लंघनों के लिए नोटिस दिया गया; दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह नोटिस का जवाब नहीं दे रही, बल्कि सेबी की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है.

हिंडनबर्ग के अपनी ताजा रिपोर्ट जारी करने के तुरंत बाद एक बयान में बुच ने आरोपों को निराधार बताया था. हिंडनबर्ग के मुताबिक, माधवी और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही फंड हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदानी ने पैसों की हेराफेरी करने और अदानी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था. विनोद अदानी, अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं.