नए साल के शुरू होने में चंद दिन रह गए हैं. 2024 की शुरुआत तीसरी तिमाही के नतीजों के साथ होगा. फिर बजट और आगे लोकसभा का चुनाव...जिस पर घरेलू निवेशकों के साथ विदेशी निवेशकों की भी नजर होगी. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत से बाजार की चमक एक बार फिर लौटी है. इस भरोसे से की केंद्र एक बार फिर मोदी सरकार ही बनेगी. साथ ही फेडरल रिजर्व और रिजर्व बैंक ने 2024 में ब्याज दरों कटौती के संकेत दिए हैं. इन सब पॉजिटिव ट्रिगर्स से बाजार फिलहाल लाइफ हाई पर है. क्या यह रैली नए साल में जारी रहेगी? कौन से रिस्क बाजार का मूड खराब कर सकते हैं? लोकसभा के नतीजों पर बाजार कितना निर्भर है? ओवरऑल मार्केट की चाल कैसी रह सकती है? इन सभी सवालों पर ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने हेलियस कैपिटल के समीर अरोड़ा से खास बातचीत की है.  

नए साल पर आउटलुक

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हेलियस कैपिटल के फाउंडर समीर अरोड़ा ने कहा कि 2024 के लिए बुलिश हैं. लेकिन नए साल के पहले 1 से 2 महीने के लिए नर्वस हैं. क्योंकि बहुत ज्यादा बुलिश ईयर के बाद नए साल में एंट्री लेते हैं तो कभी मार्केट थोड़ा झटका दे देता है. इस बार के लिए इसलिए नर्वस हैं क्योंकि IT और कंज्युम टाइप कंपनियों के तिमाही नतीजे खराब रहने वाले हैं. इसमें निवेशकों ने बहुत ज्यादा जोश में खरीदारी कर ली है. समीर अरोड़ा ने कहा कि जिन सेक्टर के नतीजों के खराब होने की आशंका है उन पर अंडररेट हैं.  

ब्याज दरों में कटौती पर नजरिया

दिग्गज निवेशक ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर के शेयरों में पिछले 2 सालों में ज्यादा एक्शन देखने को नहीं मिला है. जबकि 15-20 फीसदी ग्रोथ का गाइडेंस दे रहे हैं. ऐसे में अगर फॉरेन फंड का फ्लो आया तो सबसे ज्यादा फाइनेंशियल सेक्टर को फायदा मिलेगा. समीर अरोड़ा ने कहा कि भारत के प्राइवेट सेक्टर के बैंक और स्टेट बैंक के शेयर पर बुलिश हूं.

लोकसभा चुनाव का बाजार पर असर

उन्होंने कहा कि 2023 में अब तक विदेशी निवेशकों ने करीब 19 अरब डॉलर का निवेश किया है. हालांकि, यह पहला मौका नहीं है. निवेश का यह आंकड़ा और बढ़ना चाहिए. क्योंकि चीन से हटकर जो निवेश आना चाहिए था वो अब तक आया नहीं है. उन्होंने कहा कि लार्ज इंस्टीट्युशन की ओर से बड़ा फ्लो करने के लिए लोकसभा चुनाव के नतीजे अहम हो सकते हैं.

2024 में बाजार के लिए बड़ा रिस्क

समीर अरोड़ा ने कहा कि शेयर बाजार के लिए जनवरी का महीना जोखिमभरा है. क्योंकि ज्यादातर कंपनियों के तिमाही नतीजे खराब रहने वाले हैं. उन्होंने कहा कि फेस्टिव ज्यादा अच्छा नहीं गया है. क्योंकि लोग ट्रैवल और एक्सपीरियंस ओरियंटेड चीजों पर खर्च कर रहे. इस दौरान बिल्डिंग मैटेरियल और कंज्युमर ड्यूरेबल प्रोडक्ट्स ज्यादा नहीं खरीदे गए.