NSE और BSE से हरी झंडी मिलने के बाद HDFC और HDFC बैंक के विलय की प्रक्रिया अब जल्द ही पूरी हो सकती है. स्टॉक एक्सचेंज ने इन दोनों के विलय को लेकर को ‘ऑब्जरवेशन लैटर’ दिए गए हैं. ऑब्जरवेशन लैटर का मतलब है कि दोनों एनएसई और बीएसई स्टॉक एक्सचेंज को इस विलय को लेकर कोई आपत्ति नहीं है. जल्द ही विलय की ये प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. ये लैटर कंपनी को एनएसई की ओर से 2 जुलाई को एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी दोनों को मिला है.

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आपको बता दें इससे पहले 4 अप्रैल के दिन एचडीएफसी बैंक घोषणा की थी, कि वह अपने 6.8 करोड़ से अधिक ग्राहकों को बिना रुकावट होम लोन और लीवरेज की डिलीवरी करने के लिए HDFC बैंक के साथ मर्जर का कदम उठाने जा रहा है. ताकि क्रेडिट ग्रोथ की गति को भी बढ़ाया जा सके.

क्या होगा फायदा?

एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी के इस प्रस्तावित विलय से एक बड़ी बैलेंस शीट और नेटवर्थ तैयार होगी होगी, जो इकनॉमी में क्रेडिट के ज्यादा फ्लो की मंजूरी देगा. यह इंफ्रास्ट्रक्चर लोन, देश की तत्काल आवश्यकता सहित बड़े लोन मुहैया कराने में मददगार साबित होगा.

इस स्कीम के तहत HDFC Ltd के शेयरहोल्डर्स को एचडीएफसी लिमिटेड के 25 शेयरों के लिए एचडीएफसी बैंक के 42 शेयर (प्रत्येक 1 रुपये की फेस वेल्यू) मिलेंगे. यह अनुपात करीब 1:1.68 का बनेगा.

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पब्लिक बैंक बन जाएगा HDFC बैंक

इस विलय के बाद एचडीएफसी बैंक के शेयर होल्डिंग पैटर्न में कोई प्रमोटर नहीं रह जाएगा क्योंकि एचडीएफसी अभी तक एचडीएफसी बैंक की एक प्रमोटर कंपनी है. एचडीएफसी का विलय एचडीएफसी बैंक में होने के बाद बैक की पूरी शेयर होल्डिंग DII (डोमेस्टिक इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स), FII (फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स) और खुदरा निवेशकों के पास होगी.