विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के इनवेस्टमेंट, अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता के साथ ही क्रूड और रुपये की चाल से अगले सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों की दिशा तय होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इनवेस्टर्स इस बात पर नजर बनाए हुए हैं कि सरकार इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने और ग्राहकों की धारणा को फिर से मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए जा रही है.

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सैमको सिक्योरिटीज एंड स्टॉकनोट के संस्थापक और सीईओ जिमीत मोदी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, 'कंपनियों के परिणाम जारी करने का दौर खत्म हो गया है और अधिकतर कंपनियों की कमाई के तिमाही आंकड़े संतोषजनक नहीं रहे हैं. अर्थव्यवस्था नरमी की चपेट में है और इस तिमाही में मजबूती हासिल करने के लिए कंपनियों के पास करने के लिए बहुत कुछ नहीं है और अब बहुत सी चीजें सरकार की ओर से उठाए जाने वाले कदमों पर निर्भर हैं.' 

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के रिसर्च डिपार्टमेंट के उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा ने भी कहा, 'कंपनियों की कमाई के आंकड़े जारी करने का समय समाप्त हो चुका है और घरेलू स्तर पर बाजार को प्रभावित करने वाला कोई पहलू नहीं है. अब ग्लोबल फैक्टर्स से दिशा तय होने की उम्मीद है. निवेशकों की नजर अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता की प्रगति, कच्चे तेल और रुपये की चाल पर होगी.' 

विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक सुस्ती, कंपनियों की आय में कमी, वाहन उद्योग से जुड़े संकट एवं वैश्विक व्यापार से जुड़े मुद्दे से निवेश धारणा प्रभावित हो रही है. एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने कहा, 'इस सप्ताह निफ्टी की नजर ग्लोबल इंडिकेटर्स पर होगी क्योंकि वहां बहुत से चीजें हो रही हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच व्यापार वार्ता सितंबर में हो सकती है.' पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 231.58 अंक यानी 0.60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी.