Gold Price Today: दुनियाभर के बाजारों में गिरावट के बीच घरेलू शेयर बाजार भी सोमवार को 3 फीसदी से ज्‍यादा टूट गए. इस बीच, डॉलर के मुकाबले रुपया 78.28 के रिकॉर्ड निचला स्‍तर पर आ गया. रुपये में कमजोरी के बावजूद घरेलू बाजार में गोल्‍ड की कीमतों पर  दबाव देखा गया. MCX पर सोना 51,600 और चांदी 61,400 रुपये के नीचे आ गए. वहीं, कॉमैक्‍स पर सोना 1870 डॉलर के नीचे और चांदी 21.65 डॉलर के आसपास है. ग्‍लोबल और घरेलू लेवल पर तमाम निगेटिव फैक्‍टर्स के बीच एक्‍सपर्ट मान रहे हैं कि गोल्‍ड में यहां से तेजी देखने को मिल सकती है. कमजोर रुपये से इम्‍पोर्ट महंगा होगा और इसका असर कीमतों में तेजी के रूप में देखने को मिलेगा. 

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इंडियन बुलियन एंड ज्‍वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता का कहना है, भारतीय बाजारों में 99 फीसदी सोना इम्‍पोर्ट होता है. अगर इम्‍पोर्ट पर निर्भर रहते हैं और रुपये में गिरावट जारी रहती है, तो सोने (Gold Price) के दाम ऊपर ही रहेंगे. क्रूड अपने ऊपरी स्‍तर पर है. महंगाई दर 8.6 फीसदी साल के टॉप पर है. रुपया 78.28 पर है. डॉलर इंडेक्‍स तेज होता जा रही है. बॉन्‍ड यील्‍ड में भी तेज है.

मेहता का कहना है, एक अहम बात बीते शुक्रवार को ट्रेंड देखने को मिला कि डाउजोंस में भारी गिरावट के बावजूद गोल्‍ड का प्राइस उस दिन 65 डॉलर तक ऊपर आ गया. 1826 डॉलर से 1880 डॉलर रहा. आमतौर पर जब स्‍टॉक में क्रैश आता है, तो गोल्‍ड में भी करेक्‍शन आता है, वो करेक्‍शन उस दिन पूरी तरह से रिकवर हो गया. मेरा मानना है कि महंगाई और क्रूड की चिंताएं हावी रहेंगी. यूएस फेड की ओर से ब्‍याज दरें बढ़ाने से भी ज्‍यादा चिंता महंगाई और क्रूड है. ऐसे में गोल्‍ड 1,857 से 1,908 डॉलर की रेंज में इस हफ्ते ट्रेड कर सकता है. गोल्‍ड में इंटरनेशनल बाजारों में भी तेजी जारी रहने की संभावना है. भारतीय बाजार भी रुपये को सपोर्ट नहीं कर रहे हैं, उस वजह से भारतीय बाजारों में गोल्‍ड में और तेजी रहेगी. 

डॉलर इंडेक्‍स की मजबूती रोकेगी गोल्‍ड की रफ्तार?

गोल्‍ड में तेजी की संभावना के बीच यहां एक खास बात यह है कि रुपया कमजोर हो रहा है लेकिन डॉलर भी मजबूत हो रहा है. इस साल डॉलर 9 फीसदी मजबूत हो चुका है. अमेरिका में तेजी से ब्‍याज दरें बढ़ने की संभावना है. ऐसे में डॉलर की मजबूती भी गोल्‍ड पर असर डालेंगी और क्‍या वह गोल्‍ड में तेजी पर लगाम नहीं लगाएंगी? इस बारे में मेहता का कहना है कि डॉलर की मजबूती ने गोल्‍ड पर असर डाला था. इसलिए गोल्‍ड एक बार 2,000 डॉलर के नीचे 1,785 डॉलर प्रति औंस पर आ गया था. उसके बाद वह वहां से रिकवर होता जा रहा है. हमने पहले भी देखा कि जब गोल्‍ड का भाव 2,000 डॉलर था, तो रुपया 75-76 के बीच में था. अब हम 78 के ऊपर के बात कर रहे हैं. 

मेहता का कहना है, महंगाई की चिंता हमेशा दूसरी किसी भी चिंता से ज्‍यादा बड़ी है. जियोपॉलिटिकल टेंशन बरकरार है. रूस-यूक्रेन, चीन- ताइवान ये दोनों फैक्‍टर हमारे सामने खड़े हैं. हम इतिहास देखेंगे, तो पाएंगे कि जब‍ भी ब्‍याज दरें बढ़ी हैं, एक सेटबैक जरूर आता है. जो पहले ही आ चुका है. हम 2000 डॉलर से 1785 डॉलर आ चुका है. लेकिन, उसके बाद गोल्‍ड में लगातार तेजी है. गोल्‍ड (Gold Price) की कीमतों में लोगों को ज्‍यादा गिरावट की उम्‍मीद नहीं करनी चाहिए. इसे वीक टू वीक बेसिस पर नजर रखना चाहिए. 

घरेलू बाजार में 53,000 का रेजिस्‍टेंस 

केडिया कमोडिटी के डायरेक्‍टर अजय केडिया का कहना है, पिछले हफ्ते यूएस में जॉब डेटा और 40 साल के हाई पर महंगाई दर के चलते सोने में तेजी देखी गई. लेकिन, अभी भी गोल्‍ड के सामने ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी एक बड़ा फैक्‍टर है. जोकि इस हफ्ते अभी आना है. महंगाई को काबू करने के लिए ब्‍याज दरें बढ़ाई जा रही हैं. ब्‍याज दरें बढ़ती हैं, तो कहीं न कहीं स्‍लोडाउन की चिंता रहती है, जिससे गोल्‍ड को सपोर्ट मिलता है. शॉर्ट टर्म की बात करें, तो इंटरनेशनल मार्केट में अब जो रेंज बन गया है, वह 1820 डॉलर का सपोर्ट और रेजिसटेंस 1936 डॉलर का है. ये महीने से डेढ़ महीने के लिए है. 

केडिया का कहना है, अगर हम घरेलू मार्केट की बात करें, तो गोल्‍ड में 50,200 का सपोर्ट बन चुका है. वहीं, हाई साइड में 53,000 का रेजिस्‍टेंस बना है. इस हफ्ते यूएस फेड ब्‍याज दरें बढ़ाता है, तो सोने-चांदी में थोड़ा पुलबैक मिलेगा. फिजिकल डिमांड अच्‍छी है, पिछले साल रिकॉर्ड इम्‍पोर्ट हुआ था. पिछले महीने भी रिकॉर्ड इम्‍पोर्ट रहा. कुल मिलाकर सोने में तेजी का ट्रेंड रहेगा.  

 

सोने-चांदी में गिरावट क्यों?

  • डॉलर इंडेक्स 3 हफ्ते की ऊंचाई पर
  • डॉलर इंडेक्स 104 के पार
  • अमेरिका में महंगाई 40 साल की ऊंचाई पर
  • मई में US की CPI महंगाई दर 8.6%
  • US बॉन्ड यील्ड में लगातार मजबूती  

रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपये में 13 जून 2022 को 78.28 का रिकॉर्ड निचला स्तर पर आ गया. इस साल रुपये में 5.25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. वहीं, इस साल डॉलर इंडेक्स 9 फीसदी मजबूत हुआ है. इसके पीछे FIIs की बिकवाली, महंगा कच्चा तेल कमजोरी की बड़ी वजहें हैं. घरेलू शेयर बाजार में लगातार कमजोरी बनी हुई है.