शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव भरे इस माहौल में अगर आप सुरक्षित तौर पर सोने में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपके लिए शानदार मौका है. सोने की ऊंची कीमतों के बीच मोदी सरकार (Modi Government) सस्ता सोने खरीदने का मौका दे रही है. मोदी सरकार की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond Scheme) 2019-20 स्कीम की 7वीं सीरीज चल रही है. 2 दिसंबर को शुरू हुई यह स्कीम 6 दिसंबर को खत्म हो जाएगी. मतलब ये कि आपके पास सिर्फ 2 दिन का वक्त है. अगर आप सस्ता सोना खरीदना चाहते हैं तो 6 दिसंबर से पहले सोना खरीद लें. 

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सस्ता मिलेगा सोना

आज बाजार में सोने का भाव लगभग 3,900 रुपए प्रति ग्राम चल रहा है, जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का इश्यू प्राइस 3,795 रुपए प्रति ग्राम तय किया गया है. इस स्कीम की खासियत है कि सोने में पैसा लगाने पर न सिर्फ आपको सोना मिलता है, बल्कि निवेश पर अच्छा ब्याज भी मिलेगा. सोने की कीमतों के बढ़ने से मिलने वाले फायदे के अलावा बॉन्ड में सालाना 2.50 फीसदी ब्याज भी मिलेगा. ब्याज का भुगतान छह महीने में होता है.

क्या है Sovereign Gold Bond स्कीम?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम नवंबर 2015 में लॉन्च हुई थी. इसका मकसद फिजिकल गोल्ड की मांग को कम करना था. घर में सोना खरीद कर रखने के बजाय अगर आप सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड में निवेश करते हैं तो आपको टैक्‍स में भी छूट मिलती है.

कहां से खरीदें सस्ता सोना?

गोल्ड बॉन्ड की बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, चुनिंदा पोस्ट ऑफिस और NSE-BSE के जरिए होती है. किसी भी एक जगह से गोल्ड बॉन्ड में निवेश किया जा सकता है. बता दें कि भारत बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन लिमिटेड की तरफ से पिछले 3 दिन 999 प्योरिटी वाले सोने की कीमतों के आधार पर बॉन्ड की कीमत रुपए में तय होती है.

मिलेगी 50 रुपये की एक्सट्रा छूट

ऑनलाइन खरीदने पर सरकार की तरफ से 50 रुपए की छूट भी मिलती है. मोदी सरकार ने आरबीआई की सलाह से ऑनलाइन आवेदन और भुगतान करने पर बॉन्ड की कीमत में 50 रुपए प्रति ग्राम की छूट दी है. मतलब साफ है कि इन गोल्ड बॉन्डस की कीमत 3,795 रुपये प्रति ग्राम तय है. अगर आपने ऑनलाइन बुक किया तो आपको 50 रुपये की छूट मिलेगी. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में आवेदन का सेटलमेंट 10 दिसंबर 2019 को होगा. निवेशकों को इस तारीख को बॉन्ड अलॉट किया जाएगा.

कितनी है सब्सक्रिप्शन लिमिट

गोल्ड बॉन्ड में निवेश की न्यूनतम सीमा एक ग्राम है. वहीं, प्रति व्यक्ति प्रति वित्त वर्ष अधिकतम सब्सक्रिप्शन लिमिट 500 ग्राम है. हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए निवेश की सीमा 4 किग्रा है. वहीं, ट्रस्ट के लिए 20 किग्रा की सीमा तय है.

कौन कर सकता है निवेश?

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री भारतीय संस्थानों तक सीमित है. इनमें HUF, ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चैरिटेबल संस्थान शामिल हैं.

क्या है निकालने का विकल्प?

सॉवरेटन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को बाजार में सोने की मौजूदा कीमतों पर भुनाया जा सकता है. इन बॉन्ड का बीएसई और एनएसई पर लिस्ट होना जरूरी है. इससे शेयर बाजार में लिक्विडिटी सुनिश्चित होती है.

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कैसे लगता है टैक्स?

मैच्योरिटी तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) को होल्ड करने पर कोई कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता है. हालांकि, मैच्योरिटी से पहले अगर आप एक्सचेंज के जरिए इसे बेचते हैं तो आपको इस पर टैक्स देना होगा. अगर खरीद के तीन साल के भीतर गोल्ड बॉन्ड को बेचा जाता है तो इसे शॉर्ट टर्म गेंस माना जाता है. इस तरह के गेंस को निवेशक की इनकम के साथ जोड़ा जाता है. इस पर उसी के हिसाब से टैक्स लगेगा जिस टैक्स स्लैब में निवेशक आता है.