बहुत से म्युचुअल फंड घरेलू शेयरों के अलावा विदेशी शेयरों में भी पैसा लगाते हैं. ग्लोबल फंड्स का आकर्षण जाहिर है, लेकिन एक रिसर्च की मानें तो ग्लोबल फंड में निवेश तेज नुकसान में जा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, ग्लोबल फंड्स ने पिछले एक साल में म्युचुअल फंड निवेशकों को जबरदस्त तरीके से निराश किया है. ग्लोबल फंड के मुकाबले अभी घरेलू स्मॉल कैप, मिड कैप या कुछ मामलों में लार्ज कैप फंड ने भी कई गुना बेहतर प्रदर्शन किया है.

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Zee Business के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट वरुण दूबे ने बताया कि ग्लोबल फंड में पैसे डालने पर 35 से 25 प्रतिशत तक के पास के निगेटिव रिटर्न मिले हैं. बड़े-बड़े शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. इनमें PGIM emerging fund, Kotak Global, Edelweiss US Tech, Franklin Feeder, HSBC Global, Axis Global, Mirae Asset जैसे कई बड़े शेयर शामिल थे.

रिसर्च के मुताबिक, 69 ग्लोबल फंड्स थे, जिनमें से 48 फंड ने ओवरऑल रिटर्न पर तेज गिरावट देखी है. इनमें से 50 फंड एक साल पुराने हैं. बाकी जो नए फंड हैं, उनमें से किसी ने भी पॉजिटिव रिटर्न नहीं दिया है.

घरेलू फंड्स की कैसी रही है परफॉर्मेंस?

घरेलू बाजार में कई छोटे-मछोले शेयरों में रैली देखने को मिली है. स्मॉल कैप फंड में एक साल में 20-25 पर्सेंट का रिटर्न मिला है. गुजरात नर्मदा वैली (121 पर्सेंट), लेटेंट व्यू (100 पर्सेंट), भारत डायनेमिक्स (114 पर्सेंट) और फाइन ऑर्गेनिक्स (104 पर्सेंट) जैसे स्मॉल कैप शेयरों ने बड़ा फायदा दिया है.

मिड कैप शेयरों ने भी सालाना 25 प्रतिशत तक का फायदा दिया है. अगर देश की ब्लू चिप कंपनियों में भी पैसा लगाया होता तो लार्ज कैप फंड्स ने भी 25 से 30 फीसदी तक का रिटर्न जेनरेट किया है.

क्यों कमजोर हुए हैं ग्लोबल फंड?

ग्लोबल फंड्स में गिरावट आने की कई वजहें हैं. पहला इन फंड्स ने अधिकतर Nasdaq के टेक शेयरों में पैसा लगाया है, इसके गिरने से फंड नुकसान में गए हैं. Nasdaq 100 ने पिछले एक साल में 21 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी है.

वहीं दूसरा कारण है रुपये में गिरावट. रुपये ने पिछले कुछ महीनों में कई बार अपने नए रिकॉर्ड लो लेवल देखे हैं. करेंसी की वैल्यू गिरने से वैसे ही शेयरों की कीमत गिर गई, जिससे कि निवेशकों का पैसा साफ हुआ है.

अमेरिकी बाजार में गिरावट और मंदी की आशंकाओं ने भी बाजार में अस्थिरता पैदा की है. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

विदेशी बाजारों के एक्सपर्ट कुणाल सराओगी ने ग्लोबल फंड्स की कमजोरी पर कहा कि "मेरा ऐसा मानना है कि कभी भी नॉवेल्टी शेयर देखकर निवेश नहीं करना चाहिए. हमेशा सोच-समझकर लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करना चाहिए. कई बार लोग पोर्टफोलियो में फ्लेवर बढ़ाने के लिए विदेशी शेयरों में निवेश कर लेते हैं, लेकिन बस इन कारणों से पैसा डालने से बचना चाहिए."