FPO Explained: बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की कंपनी रुचि सोया इंस्ट्रीज (Ruchi Soya Industries) के एफपीओ (FPO) का आज आखिरी दिन है. रुचि सोया ने अपने फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (Follow on Public offer) में 46 एंकर निवेशकों को एफपीओ के ऊपरी प्राइस बैंड 650 रुपए प्रति शेयर के भाव पर 1.98 करोड़ इक्विटी शेयर आवंटित किए हैं. कुल 4,300 करोड़ रुपए का फॉलो-ऑन ऑफर (FPO) जारी किया गया है. अब सवाल ये है कि आखिर ये फॉलो ऑन पब्लिक (FPO) ऑफर होता क्या है? कंपनियां इसे क्यों लाती हैं. ये IPO से कैसे अलग होता है. आइये जानते हैं सभी जरूरी बातें...

क्या होता है FPO?

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FPO के जरिए कंपनी अपना फोलो ऑन पब्लिक ऑफर जारी करती है. मतलब जो कंपनी पहले से शेयर बाजार में लिस्टेड है, वो निवेशकों के लिए नए शेयर ऑफर करती है. ये शेयर बाजार में मौजूद शेयरों से अलग होते हैं. ज्यादातर ये शेयर प्रोमोटर्स जारी करते हैं. मतलब अपने हिस्से के शेयरों को बाजार में निवेशकों के लिए उतारते हैं. FPO का इस्तेमाल कंपनी के इक्विटी बेस को डाइवर्सिफाई करने के लिए होता है.

कंपनियां क्यों लाती हैं FPO?

बाजार में शेयर उतारने के लिए कंपनी पहले IPO लाती है. लेकिन, एक बार लिस्ट होने के बाद अगर नए शेयर जारी करना हो तो उस स्थिति में FPO का इस्तेमाल होता है. कंपनी नए शेयर कैपिटेल रेजिंग (Capital raising) या फिर अपने कर्ज का भुगतान करने के मकसद से करती है. नए शेयर के जरिए कंपनी बाजार से फंड जुटाती है और फिर उसका इस्तेमाल करती है.

कैसे काम करता है FPO?

FPO को और आसान शब्दों में समझा जाए तो ये कंपनी के मौजूदा शेयरों की संख्या से अतिरिक्त शेयर होते हैं. इसका फायदा कंपनियां एक ऑफर डॉक्यूमेंट के जरिए भी ले सकती हैं. FPO को IPO की तरह नहीं समझना बिल्कुल गलत है. ये पूरी तरह उससे अलग होता है. जैसे पहले बताया FPO में अतिरिक्त शेयर लिस्टेड कंपनी के मौजूदा शेयरों से अलग होते हैं.

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IPO से कैसे अलग होता है FPO?

कंपनियां अपने एक्सपेंशन के लिए IPO या FPO का इस्तेमाल करती हैं. कारोबार बढ़ाने के लिए फंड की जरूरत पड़ने पर कंपनियां IPO या FPO का साहारा लेती हैं. कैश फ्लो की जरूरतों को पूरा करने या फिर कारोबार बढ़ाने के लिए इस फंड का इस्तेमाल होता है. नई कैपिटल के लिए कंपनियों के पास कई तरह के ऑप्शन होते हैं. कंपनी बाजार से कर्ज लेती है. इन्वेस्टर्स से कर्ज लेती है. इक्विटी के जरिए भी फंड जुटाया जा सकता है. इक्विटी में फंड रेजिंग के लिए कंपनी अपने शेयर्स को बेचती हैं. 

अब समझते हैं दोनों अलग कैसे हैं. पहला- IPO- इसके जरिए कंपनी पहली बार बाजार में अपने शेयर्स उतारती है. इसलिए इसे इनिशियल पब्लिक ऑफर कहते हैं. वहीं, FPO में अतिरिक्त शेयर्स को बाजार में लाया जाता है. IPO में शेयरों की बिक्री के लिए फिक्स्ड प्राइस होता है, जिसे प्राइस बैंड कहते हैं. कंपनी शेयर का प्राइस बैंड लीड बैंकर्स तय करते हैं. वहीं, FPO के वक्त शेयरों का प्राइस बैंड बाजार में मौजूद शेयरों की कीमत से कम रखा जाता है. इसको शेयरों की संख्या के हिसाब भी तय किया जाता है. आमतौर पर कंपनी मौजूदा मार्केट प्राइस से कम कीमत पर इसे ऑफर करती हैं.