6 महीने के बाद विदेशी निवेशकों का बिगड़ा मूड, जानें सितंबर में अब तक बाजार से कितने हजार करोड़ निकाले
बॉन्ड यील्ड में उछाल, डॉलर इंडेक्स में तेजी और क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमत से विदेशी निवेशकों का रुख निगेटिव हुआ और छह महीने बाद FPI ने भारतीय बाजार से निकासी शुरू की. इस महीने अब तक 4203 करोड़ रुपए की बिकवाली की गई.
FPI: भारती बाजार का सेंटिमेंट मजबूत है. छह कारोबारी सत्रों से यह तेजी के साथ बंद हो रहा है, लेकिन डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में उछाल के कारण विदेशी निवेशक भारी मात्रा में बिकवाली कर रहे हैं. छह महीने तक लगातार खरीदारी करने के बाद सितंबर में फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स भारतीय बाजार में बिकवाली कर रहे हैं. सितंबर में अब तक FPI ने 4203 करोड़ रुपए की बिकवाली की है. बीते हफ्ते FII ने कुल 5821 करोड़ रुपए की बिकवाली की.
6 महीने में कुल 1.74 लाख करोड़ रुपए की खरीदारी की गई
NSDL की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, अगस्त में FPI ने 12262 करोड़ रुपए, जुलाई में 46618 करोड़ रुपए, जून में 47148 करोड़ रुपए, मई में 43838 करोड़ रुपए, अप्रैल में 11631 करोड़ रुपए, मार्च में 7936 करोड़ रुपए की खरीदारी की. इस दौरान कुल 1.74 लाख करोड़ रुपए के शेयर खरीदे गए. इस साल अब तक नेट आधार पर 131084 करोड़ रुपए की खरीदारी की गई.
रुपए में भी दिखेगा उतार-चढ़ाव
यस सिक्योरिटीज (इंडिया) लिमिटेड की मुख्य निवेश सलाहकार निताशा शंकर ने कहा कि आने वाले एक या दो सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा हमें रुपए के तेज उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखने की जरूरत है, जो आगे चलकर एफपीआई प्रवाह को प्रभावित कर सकता है.’’
बॉन्ड यील्ड में तेजी का असर
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने सितंबर में रुझान में बदलाव के लिए अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने को प्रमुख वजह बताया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा डॉलर सूचकांक की मजबूती की वजह से भी एफपीआई के रुख में बदलाव आया है.
ग्लोबल इकोनॉमी में अनिश्चितता से खतरा
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी की मुख्य वजह वैश्विक ब्याज दर परिदृश्य, विशेष रूप से अमेरिका में अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता रही है.’’
क्रूड में तेजी का असर
उन्होंने कहा कि ये चिंताएं व्यापक वैश्विक आर्थिक कारकों से उपजी हैं. इनमें कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और महंगाई जोखिमों का फिर उभरना शामिल है. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में 643 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में एफपीआई का कुल निवेश 1.31 लाख करोड़ रुपए और बॉन्ड बाजार में 28,825 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है.