विदेशी निवेशकों ने अगस्त में भारतीय शेयर बाजारों में बिकवाली जारी रखी हुई है. उन्होंने अबतक कुल 21,101 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर बेचे. इसका कारण येन मुद्रा में ‘कैरी ट्रेड’ यानी निम्न ब्याज दर वाले वाले देश से कर्ज लेकर दूसरे देश की परिसंपत्तियों में निवेश का बंद होना, अमेरिका में मंदी की आशंका और वैश्विक स्तर पर बढ़ता तनाव है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने जुलाई में 32,365 करोड़ रुपए और जून में 26,565 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर खरीदे थे. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने आर्थिक वृद्धि निरंतर बने रहने, सुधार जारी रहने, कंपनियों के तिमाही परिणाम उम्मीद से बेहतर रहने और राजनीतिक स्तर पर स्थिरता की उम्मीद में इन दो महीनों में निवेश किये.

मॉरीशस टैक्स ट्रिटी में बदलाव का भी असर

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इससे पहले, एफपीआई ने लोकसभा चुनावों के दौरान मई में 25,586 करोड़ रुपए और मॉरीशस के साथ भारत के कर समझौते में बदलाव तथा अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में लगातार वृद्धि पर चिंताओं के बीच अप्रैल में 8,700 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की थी. आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इस महीने (1-17 अगस्त) अब तक शेयर बाजार से 21,201 करोड़ रुपए की पूंजी निकासी की है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने इस साल अब तक इक्विटी शेयर में 14,364 करोड़ रुपए का निवेश किया है.

ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी की भी हो रही चर्चा

अगस्त में एफपीआई की निकासी का मुख्य कारण वैश्विक और घरेलू कारक हैं. वॉटरफील्ड एडवाइजर्स में लिस्टेड इन्वेस्टमेंट्स के निदेशक विपुल भोवर ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर, येन कैरी ट्रेड के समाप्त होने, वैश्विक मंदी की आशंका, धीमी आर्थिक वृद्धि और वैश्विक स्तर पर जारी संघर्षों को लेकर चिंताओं के कारण बाजार में अस्थिरता और जोखिम से बचने का रुख बना है.’’

येन कैरी ट्रेड के कारण पैसा निकल रहा है

बैंक ऑफ जापान ने मुख्य ब्याज दर में 0.25 फीसदी तक की वृद्धि की है. इसके बाद में येन ‘कैरी ट्रेड’ के समाप्त होने से पूंजी निकासी शुरू हुई. घरेलू स्तर पर, जून और जुलाई में शुद्ध लिवाल होने के बाद, कुछ एफपीआई ने पिछली तिमाहियों में मजबूत तेजी के बाद मुनाफावसूली का विकल्प चुना होगा. भोवर ने कहा कि इसके अलावा, कंपनियों के तिमाही परिणाम मिले-जुले होने तथा अपेक्षाकृत उच्च मूल्यांकन ने भारतीय शेयर बाजार को कम आकर्षक बना दिया है.

कैपिटल गेन टैक्स के कारण बिकवाली को सपोर्ट मिला

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि बजट बाद इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ कर में बढ़ोतरी की घोषणा ने बिकवाली को गति दी है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अमेरिका में नौकरियों के कमजोर आंकड़े, नीतिगत दर में कटौती के समय को लेकर अनिश्चितता और येन ‘कैरी ट्रेड’ के समाप्त होने के बीच एफपीआई भारतीय शेयरों के उच्च मूल्यांकन तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता को लेकर सतर्क हैं.