साल 2023 के पहले महीने यानी जनवरी में 7 महीने का रिकॉर्ड टूट गया. दरअसल, विदेशी निवेशकों ने इतनी बड़ी संख्या में शेयरों की जून, 2022 में की थी. शेयरों की बिकवाली के पीछे की सबसे बड़ी वजह चीन का बाजार है, जोकि लॉकडाउन खुलने के बाद FPIs के लिए सबसे बड़ा निवेश केंद्र बन गया है. डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक FPIs ने जनवरी में 28852 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली की. 

टूट गया 7 महीनों का रिकॉर्ड

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इससे पहले दिसंबर, 2022 में विदेशी निवेशकों ने शेयरों में 11,119 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी. जबकि नवंबर में उन्होंने शेयर बाजारों में 36,238 करोड़ रुपए का निवेश किया था. यह जून, 2022 के बाद से FPI की निकासी का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. उस समय उन्होंने शेयरों से 50,203 करोड़ रुपए निकाले थे. जनवरी में निकासी के बाद फरवरी के पहले हफ्ते में शेयरों से FPI की निकासी 5,700 करोड़ रुपए से ज्यादा रही है.

मार्केट एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

  • कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड (रिटेल) श्रीकांत चौहान ने कहा कि आगे चलकर FPIs फ्लो में उतार-चढ़ाव रहेगा, क्योंकि अन्य बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार का प्रदर्शन कमजोर है.
  • जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि FPI भारत में बिकवाली कर रहे हैं और चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे सस्ते बाजारों में खरीदारी कर रहे हैं, क्योंकि वहां वैल्युएशन आकर्षक है. उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों की अन्य सस्ते बाजारों की ओर रुख करने की रणनीति से भारतीय बाजारों का प्रदर्शन कमजोर हुआ है.
  • मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि FPI ने आम बजट और अमेरिकी केंद्रीय बैंक की बैठक से पहले सतर्कता का रुख अपनाया. दिलचस्प बात यह है कि बाद में दोनों ही संकेतक सकारात्मक रहे.

बॉन्ड मार्केट में हुई खरीदारी

इस साल अबतक चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया के बाजार में क्रमश: 4.71% , 7.52% और 11.45% की वृद्धि हुई है, जबकि भारत में 1.89% की गिरावट आई है. आंकड़ों के मुताबिक, FPI भारतीय डेट या बॉन्ड मार्केट में जनवरी महीने में 3,531 करोड़ रुपए का निवेश किया है.

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(भाषा इनपुट के साथ)