विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2023 में भारतीय शेयर बाजार में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए डाले हैं. निराशाजनक ग्लोबल आउटलुक के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भरोसे के चलते भारतीय बाजारों के प्रति विदेशी निवेशकों का आकर्षण बना हुआ है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि FPI का यह सकारात्मक रुख अगले साल यानी 2024 में भी जारी रहने की उम्मीद है.

2024 में FPI के लिए क्या अहम फैक्टर्स रहेंगे?

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मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि आगे चलकर अगले साल होने वाले आम चुनाव के बीच राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि विदेशी निवेशकों के लिए प्रमुख मुद्दा रहेगी. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर महंगाई और ब्याज दर आउटलुक भारतीय शेयरों में विदेशी प्रवाह की दिशा तय करेगा. उन्होंने कहा कि अपनी मजबूत आर्थिक वृद्धि के साथ भारत FPI के आकर्षण का केंद्र बना रहेगा.

इक्विटी में 1.5 लाख करोड़ का कुल निवेश

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अबतक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है. इसके अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में भी उन्होंने लगभग 60,000 करोड़ रुपए डाले हैं. कुल मिलाकर उनका निवेश दो लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है.

विधानसभा चुनाव में BJP की जीत से मनोबल मजबूत

तीन महत्वपूर्ण राज्यों में हाल के चुनावों में बीजेपी की जीत के बाद राजनीतिक स्थिरता की स्थिति बेहतर होने से शेयरों में डेढ़ लाख करोड़ रुपए के निवेश में से करीब 43,000 करोड़ रुपए का प्रवाह दिसंबर के पहले दो सप्ताह में हुआ है. माना जा रहा है कि FPI प्रवाह के लिए यह सबसे अच्छा साल हो सकता है.

2019 से हर साल कैसा रहा है FPI का मूड?

FPI ने 2021 में शेयरों में शुद्ध रूप से 25,752 करोड़ रुपए, 2020 में 1.7 लाख करोड़ रुपए और 2019 में 1.01 लाख करोड़ रुपए डाले थे. श्रीवास्तव ने कहा कि 2022 में विदेशी निवेशकों का प्रवाह काफी हद तक अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में महंगाई और ब्याज दर आउटलुक, मुद्रा के उतार-चढ़ाव, कच्चे तेल की कीमतों, भू-राजनीतिक आउटलुक और घरेलू अर्थव्यवस्था की सेहत जैसे कारकों से प्रेरित था.

भारत के ग्रोथ पर पूरी दुनिया के निवेशकों को भरोसा

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, ‘‘भारत FPI के लिए शीर्ष निवेश गंतव्य है. वैश्विक निवेशक समुदाय के बीच यह आम राय है कि आगामी वर्षों में सतत वृद्धि की दृष्टि से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत की स्थिति सबसे बेहतर है.’’