विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अक्‍टूबर में भारी निकासी के बाद नवंबर में अब तक भारतीय पूंजी बाजारों में 6,310 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसकी वजह से रुपये में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी है. डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने सबसे ज्यादा पूंजी डेट मार्केट में लगाई है. इससे पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अक्‍टूबर महीने में पूंजी बाजार से 38,900 करोड़ रुपये की निकासी की थी. यह दो साल की सबसे बड़ी निकासी रही.

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एफपीआई ने इससे पिछले माह सितंबर, 2018 में पूंजी बाजार (शेयर और डेट) से 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी. जबकि जुलाई-अगस्त में उन्होंने कुल 7,500 करोड़ रुपये का निवेश किया था. आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने 1 से 22 नवंबर के दौरान शेयर बाजार में 923 करोड़ रुपये और डेट मार्केट में 5,387 करोड़ रुपये डाले हैं. इस प्रकार पूंजी बाजार में उनका कुल निवेश 6,310 करोड़ रुपये (86.2 करोड़ डॉलर) हुआ है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, रुपये में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भारत का वृहत आर्थिक परिदृश्य मजबूत किया है और उभरते बाजारों को लेकर एफपीआई के रुख को बदला है.

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया में वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक (रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि रुपये में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी का हालिया निवेश में मुख्य योगदान रहा और इससे नकदी स्थिति में सुधार हुआ.

वैश्विक मोर्चे पर, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध के चलते उभरते बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है. इसके साथ वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में वृद्धि से दुनिया भर में निवेशकों के लिए जोखिम खड़ा हो गया है, जिसे चलते वे सुरक्षित विकल्प तलाश रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मुझे इस वर्ष के शेष बचे समय में विदेशी निवेशकों से ज्यादा निवेश की उम्मीद नहीं है. विदेशी निवेशक रुपये और कच्चे तेल की चाल, घरेलू स्तर पर नकदी की स्थिति, आगामी विधानसभा चुनाव और उसके बाद आम चुनाव पर नजर रखेंगे. विदेशी निवेशकों ने इस साल अब तक पूंजी बाजार से 94,000 करोड़ रुपये निकाले. जिसमें शेयर बाजार से 41,000 करोड़ से अधिक और ऋण बाजार से करीब 53,000 करोड़ रुपये की निकासी शामिल है.