विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) का भारतीय शेयर बाजारों में आक्रामक खरीदारी का सिलसिला जारी है. नवंबर में अबतक उन्होंने शेयरों में 30,385 करोड़ रुपए का निवेश किया है. भारतीय रुपए के स्थिर होने और दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत होने की वजह से विदेशी निवेशक एक बार फिर भारत पर दांव लगा रहे हैं.

FPI का रुख बहुत आक्रामक नहीं रहेगा

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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर FPI का रुख बहुत आक्रामक नहीं रहेगा, क्योंकि हाई वैल्युएशन की वजह से वे अधिक खरीदारी से बचेंगे. उन्होंने कहा कि इस समय चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के बाजारों में वैल्युएशन काफी आकर्षक है. साथ ही FPI का पैसा उन बाजारों की ओर जा सकता है.

नवंबर में अबतक ₹30385 करोड़ डाले 

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एक से 18 नवंबर के दौरान FPI ने शेयरों में शुद्ध रूप से 30,385 करोड़ रुपए डाले हैं. इससे पहले पिछले महीने यानी अक्टूबर में उन्होंने भारतीय बाजारों से शुद्ध रूप से आठ करोड़ रुपए निकाले थे. सितंबर में उन्होंने 7,624 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. सितंबर से पहले अगस्त में FPI ने 51,200 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी. वहीं जुलाई में वे 5,000 करोड़ रुपए के खरीदारी रहे थे. इससे पहले पिछले साल अक्टूबर से लगातार नौ माह तक FPI बिकवाली बने रहे थे.

अन्य के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि FPI के हालिया निवेश की वजह भारतीय शेयर बाजारों में तेजी, इकोनॉमी में स्थिरता और अन्य करेंसीज की तुलना में रुपए की स्थिति बेहतर रहना है. 

महंगाई से मिली राहत

उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर बात की जाए, तो अमेरिका में महंगाई अनुमान से कम बढ़ी है, जिससे यह संभावना बनी है कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी नहीं करेगा. इससे धारणा में सुधार हुआ है और भारतीय बाजार में FPI का निवेश बढ़ा है.

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हालांकि, समीक्षाधीन अवधि में FPI ने डेट या बॉन्ड बाजार से 422 करोड़ रुपए निकाले हैं. इस महीने में भारत के अलावा फिलिपीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाइलैंड के बाजारों में भी FPI का फ्लो पॉजिटिव रहा है.