FPI के रुख में हुआ बदलाव, ढ़ाई महीने के बाद फिर से खरीदारी; नवंबर में अब तक 1433 करोड़ खरीदे
FPI के रुख में बदलाव देखा जा रहा है. ढ़ाई महीने बाद विदेशी निवेशकों ने नवंबर में अब तक नेट आधार पर 1433 करोड़ रुपए की खरीदारी की है. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट से रुख में बदलाव हुआ है.
FPI Inflow: पिछले ढाई महीनों में लगातार बिकवाली के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने नवंबर में अब तक 1,433 करोड़ रुपए की भारतीय इक्विटी खरीदी है. इसका मुख्य कारण अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी है. एफपीआई 15 नवंबर तक शुद्ध विक्रेता की स्थिति में थे लेकिन डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार उन्होंने 16-17 नवंबर को भारतीय इक्विटी बाजार में निवेश कर बिकवाली की प्रवृत्ति को पलट दिया.
बॉन्ड यील्ड में गिरावट का फायदा
मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के सह निदेशक एवं शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, “भारत में जारी त्योहारी मौसम को भारतीय बाजार में एफपीआई की नए सिरे से रुचि के लिए एक कारक के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ अमेरिकी बॉन्ड यील्ड गिरने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी कुछ दबावों को कम किया है जिससे बाजार में तेजी आई है.”
बाजार ने फिर से FII को आकर्षित किया है
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि बाजार के जुझारूपन और माकूल समय में तगड़ी तेजी ने एफपीआई को रणनीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है. यही कारण है कि नवंबर के पहले दो हफ्तों में लगातार बिकवाली के बाद वे इस महीने की 15 और 16 तारीख को खरीदार बन गए.
फेड अब और इंटरेस्ट नहीं बढ़ाएगा
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी का काम पूरा कर लिया है और 2024 में धीरे-धीरे दरों में कटौती करना शुरू करेगा. अगर अमेरिकी मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख जारी रहता है तो फेडरल रिजर्व अगले साल के मध्य तक दरों में कटौती कर सकता है. इससे भारत जैसे उदीयमान बाजारों में एफपीआई प्रवाह को सुगम बनाया जा सकता है.
मार्च-अगस्त के बीच लगातार खरीदारी हुई
आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपए और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपए मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी. इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे. उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया था. हालांकि सितंबर में एफपीआई ने बिकवाली की सिलसिला शुरू किया. इसके पीछे अमेरिकी ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता, बॉन्ड यील्ड में तेजी, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और इजराइल-हमास संघर्ष से भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की अहम भूमिका रही.
ऑटो, फाइनेंशियल में ज्यादा खरीदारी की उम्मीद
इस साल अब तक घरेलू इक्विटी बाजार में एफपीआई का कुल निवेश 97,405 करोड़ रुपए और ऋण बाजार में 47,800 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. विजयकुमार का मानना है कि एफपीआई निकट अवधि में वाहन, पूंजीगत उत्पाद, दूरसंचार, औषधि, सूचना प्रौद्योगिकी और निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में अधिक निवेश करना पसंद करेंगे.