दवा कंपनी रैनबैक्सी (Ranbaxy) के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सजा नहीं सुनाई है. कोर्ट ने कहा सजा पर फैसला बाद में दिया जाएगा. दरअसल, मलविंदर-शिविंदर सिंह के खिलाफ 3,500 करोड़ रुपए के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड मामले में जापान की बड़ी दवा कंपनी दायची सांक्यो (Daiichi Sankyo) ने याचिक दायर की थी. उसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्या है मलविंदर-शिविंदर पर आरोप

दायची सांक्यो का आरोप था कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद मलविंदर-शिविंदर सिंह ने फोर्टिस हेल्थकेयर के शेयर बेचे हैं. दायची सांक्यो ने रैनबैक्सी डील विवाद में मलविंदर-शिविंदर से आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की मांग की है. मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह ने 2008 में रैनबैक्सी को दायची सांक्यो (Daiichi Sankyo) के हाथों बेच दिया था.

बाद में सन फार्मास्यूटिकल्स ने दायची से 3.2 अरब डॉलर में रैनबैक्सी को खरीद लिया. जापानी दवा निर्माता का आरोप है कि सिंह बंधुओं ने उसे रैनबैक्सी बेचते हुए कई तथ्य छिपाए थे.

समझिए क्या होगा फैसले का फायदा

क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर भाइयों मलिवंदर और शिविंदर सिंह को जापानी कंपनी दायची सांक्यो मामले में दोषी पाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिंह बंधुओं ने फोर्टिस हेल्थकेयर में अपने शेयर बेचकर आदेश का उल्लंघन किया है. सिंगापुर की ट्राइब्यूनल ने 2016 में सिंह बंधुओं को कहा था कि वह दायची सांक्यो (Daiichi Sankyo) को 3,500 करोड़ रुपये दे. दायची सांक्यो ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह सिंह बंधुओं से ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन करवाए.