बजट के बाद शेयर बाजार में विदेशी पूंजी की भारी निकासी के बावजूद विदेशी निवेशक जुलाई महीने में अब तक भारतीय पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल बने हुए हैं. डिपॉजिटरी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 1 से 12 जुलाई के दौरान, शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 4,953.77 करोड़ रुपये की निकासी की लेकिन बांड बाजार में 8,504.78 करोड़ रुपये डाले. इस प्रकार, विदेशी निवेशकों ने पूंजी बाजार में शुद्ध रूप से 3,551.01 करोड़ रुपये का निवेश किया. बजट पेश होने के बाद से विदेशी निवेशक ए1-2 बार को छोड़कर बाकी दिनों में शुद्ध बिकवाल रहे.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वैश्विक निवेशक लगातार पांच महीने से शुद्ध खरीदार बने हुए हैं. उन्होंने भारतीय पूंजी बाजार में जून में शुद्ध रूप से 10,384.54 करोड़ रुपये, मई में 9,031.15 करोड़ रुपये, अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी. वहीं मार्च में 45,981 करोड़ रुपये तथा फरवरी में 11,182 करोड़ रुपये का निवेश किया था. 

विशेषज्ञों के मुताबिक बजट में विदेशी कोष समेत अमीरों की ओर से दिए जाने वाले आयकर पर अधिभार को बढ़ाने का प्रस्ताव किया है, इससे विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से मोहभंग हुआ है और वे घरेलू शेयर बाजार में अपने निवेश का फिर से मूल्यांकन कर सकते हैं. मॉर्निंगस्टार के वरिष्ठ विश्लेषक प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘बजट के दौरान, सरकार ने विदेशी निवेश और एफडीआई को बढ़ावा देने के कई कदम उठाए हैं. इनमें एफपीआई के लिए केवाईसी, फॉर्म सरल करना, एनबीएफसी द्वारा जारी बांड में निवेश की एफपीआई को अनुमति जैसी पहल शामिल हैं.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इन कदमों को सकारात्मक कदम माना जा रहा था. हालांकि, विदेशी कोषों समेत अमीरों के आयकर पर अधिभार को बढ़ा दिया. इसमें विदेशी कोष भी शामिल हैं, जो ट्रस्ट और एसोसिएशंस आफ पर्सन्स (एओपी) के रूप में होते हैं. यह कदम बाजार के पक्ष में नहीं रहा.’’ श्रीवास्तव ने कहा कि अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समझना होगा की इस बदले हुए परिदृश्य के संबंध में क्या कदम उठाते हैं.