Editors Take: डॉलर के मुकाबले रुपया 81 के पार; गिरावट को रोकने के लिए RBI क्या करेगा? जानिए अनिल सिंघवी की राय
Rupee all time low: रुपये में यह सात महीने की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट थी. रुपये में गिरावट की अहम वजह क्या है और रिजर्व बैंक इसे संभालने के लिए क्या करेगा? इस पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपनी राय दी.
Rupee all time low: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में लगातार गिरावट है. शुक्रवार को रुपये में कारोबार 81 के लेवल के पार शुरू हुआ. शुरुआती सेशन में ही डॉलर के सामने रुपया 39 पैसे टूटकर 81.18 के लेवल पर आ गया. इससे पहले, गुरुवार के ट्रेडिंग सेशन में रुपया 83 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ 80.79 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था. रुपये में यह सात महीने की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट थी. रुपये में गिरावट की अहम वजह क्या है और रिजर्व बैंक इसे संभालने के लिए क्या करेगा? इस पर जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपनी राय दी.
क्यों गिर रहा है रुपया, क्या करेगा RBI?
अनिल सिंघवी का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की दो अहम वजहें हैं. पहली, फेड की मीटिंग के बाद डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है. जिस तरह से फेड ने आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है और आगे भी बढ़ाएग, उससे दुनियाभर की करेंसी कमजोरी होंगी. अब इस वजह से रुपया कितना कमजोर होगा. इस पर अपना-अपना जजमेंट हो सकता है. डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रुपया आधा-पौन फीसदी गिरना चाहिए था, एक-सवा फीसदी गिर गया, तो क्या ज्यादा गिरावट है?
सिंघवी का कहना है, दूसरी बात यह कि कहीं न कहीं यह लग रहा था कि रिजर्व बैंक (RBI) रुपये को 80 के लेवल के आसपास स्टेबल करने की कोशिश करेगा. लेकिन, अब ऐसा लग रहा है कि RBI ने छोड़ दिया है कि अब रुपये ने 80 का लेवल तोड़ दिया तो ठीक है. अब इसमें वह निर्णायक तौर पर डिफेंड नहीं करेगा. अब देखने वाली बात यह है कि RBI रुपये का अगला लेवल क्या डिफेंड करता है.
उनका कहना है, ''मेरे हिसाब से 81.50-82 के आसपास रिजर्व बैंक रुपये को स्टेबल करने की कोशिश कर सकता है. ऐसे में अब थोड़े समय के लिए रुपया डॉलर के मुकाबले 80-82 के बीच ट्रेड करता दिखाई देगा. 80 के नीचे आते ही डॉलर में खरीदारी देखने को मिलेगी. जिस तरह के ग्लोबल हालात हैं, उसके हिसाब से एक लेवल तक आप करेंसी को मैनेज कर सकते हैं. उसके बाद नहीं कर सकते हैं और करना भी नहीं चाहिए. क्योंकि अगर आप अपनी करेंसी को मैनेज करेंगे, तो आपको अपने फॉरेक्स रिजर्व देने पड़ेंगे. इसमें आपको करेंसी को 1 रुपया मजबूत करने के लिए कितना रिजर्व देना पड़ेगा, यह देखने वाली बात होती है. दूसरी एक बात कि शॉर्ट टर्म डेफिसिट जो आपका लिक्विडिटी सरप्लस होता है, वो 4 साल में पहली बार निगेटिव हुआ है. इसका मतलब साफ है कि डॉलर का इनफ्लो कम है.''
फेड ने लगातार तीसरी बार बढ़ाया ब्याज
महंगाई पर काबू पाने की अपनी कोशिशों में अमेरिकी सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने बुधवार को लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी की. ब्याज दरें बढ़ाकर 3-3.2 फीसदी की. साथ ही यूएस फेड ने संकेत दिए हैं कि वह आने वाली बैठक में भी ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी कर सकता है. इसके बाद से डॉलर इंडेक्स 111 के स्तर के ऊपर चल गया. गुरुवार को रुपये समेत सभी एशियाई करेंसी में तेजी गिरावट देखने को मिली. बता दें, रुपया पहली बार 20 जुलाई को डॉलर के मुकाबले फिसलकर 80 के पार 80.05 के स्तर पर बंद हुआ था.