टाटा संस और साइरस मिस्त्री के बीच कानूनी विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है. NCLT के आदेश को खारिज करते हुए NCLAT ने साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का एक्जिक्यूटिव चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया है. मामले में नया मोड़ आने से शेयर बाजार में भी हलचल बढ़ गई है. टाटा ग्रुप के शेयरों में उथल-पुथल देखने को मिल रही है. लेकिन, इस उथल-पुथल में आपको क्या करना चाहिए? ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने दिया इसका सॉल्यूशन..

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अनिल सिंघवी के मुताबिक, बाजार और टाटा ग्रुप ने NCLT के आदेश के बाद मान लिया था कि ये विवाद खत्म हो चुका है. और ये सिर्फ कानूनी लड़ाई रह गई है कि अब कोर्ट में सिर्फ याचिकाएं लगती रहेंगी. NCLAT ने NCLT का फैसला क्या बदला? बाजार से लेकर टाटा ग्रुप तक सभी को झटका लगा है. दरअसल, झटका इस बात का कि किसी को उम्मीद नहीं थी कि ऐसा भी हो सकता है.

अनिल सिंघवी का कहना है- बाजार को इस तरह की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि इस तरह का फैसला भी आ सकता है. बाजार इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं था. क्योंकि, टाटा ग्रुप अपनी प्लानिंग और रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर आगे बढ़ गया था. एक प्रोफेशनल मैनेजमेंट के रूप कामकाज हो रहा था. साइरस मिस्त्री के आरोपों को ग्रुप बहुत सीरियस लिया था. यही वजह थी कि टाटा फैमिली से बाहर के व्यक्ति एन चंद्रशेखरन को चेयरमैन नियुक्त किया था. 

दोबारा चलेगी कानूनी लड़ाई

एन चंद्रशेखरन के आने से बाद लगा टाटा ग्रुप में अब स्थिरता आएगी. क्योंकि, उनकी इमेज बहुत अच्छी है. साथ ही टाटा ग्रुप मान चुका था कि मामला निपट गया है. लेकिन, अब यह मामला फिर से बदलता दिख रहा है, बिगड़ता हुआ दिख रहा है. अब दोबारा से लंबी कानूनी लड़ाई चलेगी. क्योंकि, अब मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएगा. टाटा ग्रुप इस तरह से हार मानने वाला नहीं है. चुप बैठने वाला नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में अब कितना वक्त लगता है. क्या फैसला आता है. जब तक ये फैसला नहीं होता, तब तक तलवार लटकी रहेगी. 

अब क्या होगा?

टाटा ग्रुप के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 4 हफ्ते का वक्त है. अब इन 4 हफ्तों में स्थिति जस की तस बनी रहेगी या फिर टाटा ग्रुप को स्टे ऑर्डर मिल जाएगा. क्योंकि, NCLAT ने टाटा ग्रुप को सिर्फ 60 दिन का वक्त दिया है कि साइरस मिस्त्री को दोबारा चेयरमैन नियुक्त किया जाए. हालांकि, इस पर लीगल ओपनियन होगी. लेकिन, अगर 60 दिन में टाटा ग्रुप को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन बनाना है और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ें तो टाटा ग्रुप के लिए यह मुश्किल होगा. लेकिन, अगर ग्रुप 30 दिन में ही सुप्रीम कोर्ट चला जाता है और स्थिति जस की तस बनी रहती है तो ग्रुप के लिए वो स्थिति ठीक है. 

अनिल सिंघवी के मुताबिक, अब दो चीजों पर सारी बात निर्भर करेगी. पहली- सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक क्या चंद्रशेखरन चेयरमैन बने रहेंगे? दूसरा- साइरस मिस्त्री चेयरमैन होंगे. इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा. 

स्टॉक्स पर क्या आएगा रिएक्शन?

टाटा ग्रुप को शेयरों में कल गिरावट देखने को मिली. अनिल सिंघवी के मुताबिक, अचानक आए इस फैसले के बाद स्टॉक्स पर जो रिएक्शन देखने को मिला वो जायज था. इससे पहले टाटा ग्रुप का हर स्टॉक मजूबत दिख रहा था. टाटा स्टील की कल बोर्ड होनी थी, जिसमें रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर बड़े फैसले होने वाले थे. लेकिन, इस फैसले के बाद वहां भी शायद कोई चर्चा नहीं हुई. वहीं, आज भी टाटा ग्रुप की टॉप लेवल की एक अहम बैठक होने जा रही है. जिसमें आगे की रणनीति तय होगी. हालांकि, स्टॉक्स पर क्या रिएक्शन होगा. 

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आपको क्या करना चाहिए

अनिल सिंघवी का कहना है कि टाटा मोटर्स ने इस फैसले के बाद कोई प्रोडक्शन कट नहीं किया है. टाटा स्टील ने भी स्टील बनाना बंद नहीं किया है. सभी कंपनियों का बिजनेस जस का तस है. बदला क्या है और क्या बदलेगा. मैनेजमेंट के लेवल पर कोई बदलाव जब तक नहीं होता तब तक चिंता नहीं है. अगर बदलाव होता भी है तो उसका असर लंबी अवधि में नहीं पड़ेगा. अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है. शॉर्ट टर्म में स्टॉक्स पर थोड़ा इम्पैक्ट आ सकता है. खासकर वहां जहां रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच डिस्पियूट था. वहां पर थोड़ी दिक्कत देखने को मिल सकती है.