Editor's Take: क्या अमेरिका में मंदी का दौर शुरू? भारतीय बाजारों में आगे क्या होगा?
Editor's Take: अमेरिका में मंदी की आशंकाएं तेज हो गई हैं. फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की है, जो उम्मीद के मुताबिक थी. लेकिन 2025 में केवल दो बार 0.25% रेट कट के संकेत दिए हैं, जबकि पहले चार रेट कट की संभावना जताई जा रही थी.
Editor's Take: घरेलू और विदेशी बाजारों में जबरदस्त बिकवाली और गिरावट का माहौल है. अमेरिका में मंदी की आशंकाएं तेज हो गई हैं. फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की है, जो उम्मीद के मुताबिक थी. लेकिन 2025 में केवल दो बार 0.25% रेट कट के संकेत दिए हैं, जबकि पहले चार रेट कट की संभावना जताई जा रही थी. इसका मतलब है कि फेड जल्दी और ज्यादा दरों में कटौती नहीं करेगा. फेड का यह कदम महंगाई को लेकर उसकी चिंताओं को दर्शाता है. हालांकि, GDP ग्रोथ को लेकर फेड आश्वस्त दिख रहा है.
अमेरिकी बाजारों में बड़ा कोहराम:
फेड के आउटलुक से अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट आई है.
डाओ जोंस: 1100 प्वाइंट गिरा.
नैस्डैक: 3.5% टूटा.
S&P 500: 3% की गिरावट.
रसेल 2000: 5.5% लुढ़का.
US बॉन्ड यील्ड: 10 साल की यील्ड 31 मई के बाद पहली बार 4.5% के ऊपर पहुंची.
डॉलर इंडेक्स: 2 साल की ऊंचाई पर 108 तक पहुंच गया.
सोना और चांदी: सोना 2% गिरकर $2600 पर आ गया, जबकि चांदी 3.5% टूटकर $30 के नीचे आ गई.
भारतीय बाजारों पर असर:
अमेरिका में गिरावट का असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ रहा है.
डॉलर इंडेक्स की मजबूती से इक्विटी, मेटल और गोल्ड सेक्टर पर नकारात्मक असर.
FIIs (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की बिकवाली का दबाव बढ़ने की आशंका.
इमर्जिंग मार्केट्स में निवेश धीमा और कम होने का डर.
भारतीय बाजार में आगे का रास्ता:
भारतीय बाजार पहले ही कमजोर स्थिति में हैं.
FIIs की बिकवाली से बाजार पर दबाव बढ़ेगा.
खरीदारों की कमी और बिकवाली का दबाव बाजार को और कमजोर बना सकता है.
ट्रेडर्स की मार्जिन कॉल्स से पोजीशन कटने का डर.
निफ्टी: 23300-23500 का स्तर प्रमुख.
बैंक निफ्टी: 50075-50450 का स्तर महत्वपूर्ण.
ट्रेडर्स और निवेशक क्या करें?
बाजार लगातार तेजी के स्टॉपलॉस लेवल के नीचे बंद हो रहा है.
ट्रेडर्स को अनुशासन के साथ स्टॉपलॉस लगाना जरूरी.
इंट्राडे और ओवरनाइट ट्रेडिंग पोजीशन कम रखें.
बैंकिंग, NBFC और मेटल सेक्टर में ज्यादा गिरावट का डर.
बाजार में बढ़ते उतार-चढ़ाव के बीच सतर्कता से निर्णय लें.
भारतीय बाजारों में आगे के संकेत कमजोर नजर आ रहे हैं. निवेशक और ट्रेडर्स को इस समय सावधानी बरतनी होगी और बाजार की दिशा पर करीबी नजर रखनी होगी.