भारत में दिवाली (Diwali) का त्योहार बहुत ही अहम होता है. यह ना सिर्फ आम लोगों के लिए खास होता है, बल्कि शेयर बाजार के लिए भी इस दिन की खास अहमियत है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिवाली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. वहीं शेयर बाजार (Share Market) में भी लोग पैसे कमाने आते हैं, इसलिए स्टॉक मार्केट के लिए यह दिन बेहद अहम है. वैसे तो दिवाली पर शेयर बाजार बंद (Share Market on Diwali) होता है, लेकिन शान को 1 घंटे की मुहूर्त ट्रेडिंग (Diwali Muhurat Trading) होती है. दिवाली के मौके पर मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए शाम 6 बजे से 15 मिनट का प्री-ओपनिंग सेशन शुरू होता है. वहीं 6.15 बजे से ट्रेडिंग शुरू होती और 7.15 बजे तक चलती है, जिसके बाद 7.25 तक मार्केट सेटल हो जाता है. आइए जानते हैं मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन हर कोई शेयर क्यों खरीदना चाहता है.

पहले जानिए क्या है मुहूर्त ट्रेडिंग?

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जैसा कि आप इसके नाम से ही समझ रहे होंगे कि यह किसी तरह का मुहूर्त है. दिवाली पर लोग खरीदारी करना शुभ मानते हैं. वहीं अगर बात शेयर बाजार की करें तो इसका पूरा कारोबार ही खरीद-फरोख्त का है. ऐसे में दिवाली के दिन बाजार बंद होने के बावजूद लोग मुहूर्त ट्रेडिंग के तहत सिर्फ शगुन करने के लिए खरीदारी करते हैं.

 

खरीदारी पर फोकस, बेचने से बचते हैं लोग

वैसे तो मुहूर्त ट्रडिंग के मौके पर बहुत सारे लोग मुनाफा भी कमाने की सोचते हैं, लेकिन अधिकतर लोग सिर्फ शेयर खरीदने पर फोकस करते हैं. अगर लोग बहुत सारे शेयर नहीं भी खरीदना चाहते हैं तो सिर्फ शगुन के तौर पर एक-दो शेयर खरीद कर अपने पोर्टफोलियो में रख लेते हैं. ट्रेडर्स कम्युनिटी में माना जाता है कि इस दिन शेयर खरीदने वालों को साल भर लाभ होता है. 

करीब 5 दशकों से चली आ रही है ये परंपरा

शेयर बाजार में दिवाली के दिन मुहूर्त ट्रेडिंग की बात करें तो यह कोई नई परंपरा नहीं है, बल्कि करीब 5 दशकों से चलती आ रही है. बीएसई में इसकी शुरुआत 1957 में हुई थी, जबकि एनएसई में इसे 1992 से शुरू किया गया. मुहूर्त ट्रेडिंग को एक परंपरा की तरह देखा जाता है और हर इन्वेस्टर-ट्रेडर इन दिन अपना फेवरेट शेयर खरीदना चाहता है.

पीढ़ियों तक चलता है निवेश

मुहूर्त ट्रेडिंग पर खरीदे गए शेयरों को निवेशक या ट्रेडर कितना शुभ मानते हैं, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कई लोग इसे अगली पीढ़ी तक ले जाते हैं. वह हमेशा ही अपने पोर्टफोलियो में शेयर को रखना चाहते हैं, ताकि उनकी दौलत में बरक्कत होती रहे. ये देखा गया है कि कई निवेशक अपने इन शगुन वाले शेयरों को अपनी अगली पीढ़ी यानी अपने बच्चों को ट्रांसफर तक करते हैं.