FD से बेहतर है डेट फंड्स में निवेश करना, Debt Funds हैं मुनाफे की चाबी!
Equity Fund और डेट म्यूचुअल फंड. डेट म्यूचुअल फंड को छोटी अवधि के लिए बेहतर माना जाता है. छोटी अवधि में भी हर तरह की जरूरत के लिए डेट फंड्स मौजूद हैं.
म्यूचुअल फंड (Mutual funds) में निवेश की जब भी बात आती है तो अक्सर दो चीजें सबसे ज्यादा सुनने को मिलती हैं, इक्विटी (Equity Fund) और डेट म्यूचुअल फंड. डेट म्यूचुअल फंड को छोटी अवधि के लिए बेहतर माना जाता है. लेकिन, छोटी अवधि में भी हर तरह की जरूरत के लिए डेट फंड्स मौजूद हैं. आज की इस खास पेशकश में हम आपको बताएंगे डेट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual funds) की हर बारीकी और बताएंगे ज्यादा मुनाफा कमाने के गुर.
डेट फंड के बारे में बता रहे हैं ऑप्टिमा मनी के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मठपाल.
जीरो-कूपन बॉन्ड-
जीरो कूपन बॉन्ड (Zero coupon bond) एक अलग तरह के बॉन्ड होता है. इसमें मैच्योरिटी पर फेस वैल्यू का भुगतान करते हैं. इनमें निवेश और मैच्योरिटी के बीच ब्याज नहीं मिलता है. बॉन्ड 'डीप डिस्काउंट' पर जारी किया जाता है और इश्यू प्राइस फेस वैल्यू से कम होता है.
उदाहरण के लिए- 10 साल के बॉन्ड की फेस वैल्यू अगर 1,000 रुपये है और बॉन्ड का इश्यू प्राइस 400 रुपये है. आप 1000 रुपये के बॉन्ड को 400 रुपये में खरीद रहे हैं. मैच्योरिटी के समय पर आपको 1000 रुपये मिलेंगे. मैच्योरिटी से पहले कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा. 400 रुपये का निवेश आपको 10 साल बाद 1000 रुपये दे रहा है. ऐसे में आपका CAGR 9.6 फीसदी होगा.
कर्ज लेकर निवेश नहीं
निवेश हमेशा अपनी आय से करें और निवेश के लिए कभी भी कर्ज न लें. अपनी बचत को ही म्यूचुअल फंड में डालें. ध्यान रखें कि कर्ज लेकर निवेश करने से कभी फायदा नहीं होगा.
क्या हैं डेट फंड-
डेट फंड म्यूचुअल फंड का ही एक प्रकार है. डेट फंड डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. यहां बॉन्ड्स, डिबेंचर्स, ट्रेजरी बिल में निवेश होता है. इसमें कॉल मनी, डिपॉजिट सर्टिफिकेट में भी निवेश किया जाता है. कमर्शियल पेपर में भी डेट फंड निवेश करते हैं. अलग-अलग लक्ष्यों के मुताबिक अलग-अलग डेट फंड्स हैं.
मार्केट रेगुलेटर सेबी के मुताबिक डेट फंड्स 16 तरह के होते हैं. इनमें ओवरनाइट फंड से लेकर फ्लोटर फंड तक शामिल हैं.
कूपन रेट
कूपन रेट इंस्ट्रूमेंट पर मिलने वाला ब्याज होता है. बॉन्ड का कूपन रेट उस पर मिलने वाले ब्याज को दर्शाता है. कूपन रेट इंस्ट्रूमेंट पर मिलने वाला रिटर्न अलग हो सकते हैं. मिलने वाला रिटर्न कूपन रेट के समान हो, जरूरी नहीं.
यील्ड टू मैच्योरिटी (YTM)
यील्ड डेट फंड पर मिलने वाला रिटर्न.
इंस्ट्रूमेंट में मैच्योरिटी तक निवेश.
ऐसे में आपको मिलता है यील्ड.
यील्ड को YTM भी कहा जाता है.
यील्ड बॉन्ड कुपन रेट से हो सकता है अलग.
बॉन्ड की कीमत अगर इश्यू प्राइस से कम.
ऐसे में आपका YTM कुपने से ज्यादा होगा.
फेस वैल्यू और परचेस प्राइस
फेस वैल्यू वो प्राइस है जो बॉन्ड की मैच्योरिटी पर मिलेगा. परचेस प्राइस वो कीमत जो इन्वेस्टर बॉन्ड खरीदने के लिए भुगतान करता है. परचेस प्राइस फेस वैल्यू के बराबर भी हो सकता है. फेस वैल्यू से कम और ज्यादा भी हो सकता है.
बॉन्ड का इश्यू प्राइस और मैच्योरिटी वैल्यू समान है. इन्वेस्टर को बॉन्ड पर कुपन का भुगतान किया जाएगा. ये भुगतान ही बॉन्ड एट पार कहलाया जाता है.
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जो बॉन्ड फेस वैल्यू से कम कीमत पर जारी किया जाता है, डीप डिस्काउंट बॉन्ड कहलाता है. डीप डिस्काउंट बॉन्ड पर कुपन का भुगतान नहीं होता है.
कॉल और पुट
बॉन्ड जारी करने वाले के पास 'कॉल' का विकल्प है. इश्यूअर बॉन्ड को रिकॉल कर सकता है. मैच्योरिटी से पहले रिकॉल किया जा सकता है.