मिडिल ईस्ट में युद्ध से कच्चे तेल ने पकड़ी रफ्तार, भाव 4% चढ़ा; बढ़ेगी आम लोगों की टेंशन?
अमेरिकी तेल के लिए बेंचमार्क वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) बढ़कर 86 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गया, जबकि ब्रेंट क्रूड की कीमत भी शुरुआती एशियाई कारोबार में बढ़ी.
कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार (9 सितंबर) को जोरदार उछाल दर्ज किया जा रहा. क्रूड में आई तूफानी तेजी की वजह इजराइल और गाजा की स्थिति है, जिसके कारण मिडिल-ईस्ट से उत्पादन बाधित होने की चिंता है. इसके चलते कच्चे तेल की कीमतों में 4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. इंट्राडे में ब्रेंट क्रूड 88.41 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंची.
युद्ध का सप्लाई पर पड़ेगा असर?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी तेल के लिए बेंचमार्क वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) बढ़कर 86 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गया, जबकि ब्रेंट क्रूड की कीमत भी शुरुआती एशियाई कारोबार में बढ़ी. बता दें कि इजराइल और फिलिस्तीनी क्षेत्र तेल उत्पादक नहीं हैं, लेकिन मिडिल ईस्ट एरिया ग्लोबल सप्लाई का लगभग एक तिहाई हिस्सा है. पश्चिमी देशों ने हमलों की निंदा की. लेकिन हमास के एक प्रवक्ता ने BBC को बताया कि ग्रुप को ईरान से हमले का सीधा समर्थन प्राप्त है.
ईरान का युद्ध में शामिल होने के मायने
एनर्जी एनलिस्ट शाऊल कावोनिक ने BBC को बताया कि तेल पर जोखिम प्रीमियम बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, "अगर संघर्ष ईरान को घेर लेता है, जिस पर हमास के हमलों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति 3 फीसदी तक कम हो जाएगी. कावोनिक ने कहा, अगर होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरने वाला एक महत्वपूर्ण तेल व्यापार मार्ग बाधित होता है, तो वैश्विक आपूर्ति का लगभग पांचवां हिस्सा बंधक बना लिया जाएगा.
क्रूड में उबाल से बढ़ेगी टेंशन?
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, होर्मुज जलडमरूमध्य खाड़ी क्षेत्र के प्रमुख तेल निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनकी अर्थव्यवस्था तेल और गैस उत्पादन के आसपास बनी है. HSBC बैंक के जेम्स चेओ ने कहा कि आने वाले दिनों में घटनाएं कैसे विकसित हो सकती हैं, इस पर अनिश्चितता अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड और डॉलर में निवेश को भी प्रेरित कर सकती है, जिसे निवेशक पारंपरिक रूप से संकट के समय खरीदते हैं.
क्रूड की बढ़ती कीमत का भारत पर असर
1. महंगा होगा पेट्रोल-डीजल
कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से भारत के लिए इसका क्रूड इंपोर्ट करना महंगा होगा. क्योंकि भारत अपनी जरूरतों का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. इससे आने वाले दिनों में तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल महंगा कर सकती हैं. इसके साथ ही माल ढुलाई भी महंगा होगा. नतीजतन देश में महंगाई बढ़ेगी, जोकि ओवरआल इकोनॉमी के लिए निगेटिव है.
2. इन सेक्टर की कंपनियों को होगा नुकसान
महंगे क्रूड का सीधा असर उन कंपनियों और सेक्टर्स पर होगा जहां इसका इस्तेमाल होता है. क्योंकि कंपनियां प्रोडक्शन या अन्य कामों के लिए रॉ मटेरियल के रूप में इसका इस्तेमाल करती हैं. इसमें पेंट कंपनियां, बैटरी बनाने वाली कंपनियां, टायर कंपनियां, FMCG कंपनियां, एविएशन कंपनियां, सीमेंट कंपनियां, लॉजिस्टिक कंपनियां, स्टील कंपनियां शामिल हैं.
3. महंगे क्रूड का इन्हें मिलेगा फायदा?
क्रूड के दाम बढ़ने से ऑयल एक्सप्लोरेशन कंपनियों को फायदा होगा. हालांकि, रिफाइनरी कंपनियों पर कोई असर नहीं होगा. जबकि आयल मार्केटिंग कंपनियों यानी OMCs को इसके चलते नुकसान होगा. कई आटो कंपनियां अब इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पर फोकस कर रही हैं. ऐसे मे क्रूड की कीमतें बढ़ने से उन पर असर कुछ कम होगा.
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