डोनाल्ड ट्रंप के ट्वीट से कच्चे तेल में तेज उछाल, अनिल सिंघवी से जानिए क्या है इसके मायने
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया कि उनकी सऊदी और रूस से बात हो गई है. दोनों देश कच्चे तेल का उत्पादन कट करने पर सहमत हो गए. ट्रंप के मुताबिक, 10 मिलिनय बैरल तेल के उत्पादन कटौती पर सहमति बनी है.
ग्लोबल मार्केट में काफी तेज एक्शन देखने को मिल रहा है. सबसे ज्यादा एक्शन कच्चे तेल (Crude Oil) में देखने को मिला है. नायमैक्स क्रूड (Nymex Crude) में 25 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. इतिहास में पहली बार क्रूड में एक दिन में इतना बड़ा उछाल देखने को मिला है. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया कि उनकी सऊदी और रूस से बात हो गई है. दोनों देश कच्चे तेल का उत्पादन कट करने पर सहमत हो गए. ट्रंप के मुताबिक, 10 मिलिनय बैरल तेल के उत्पादन कटौती पर सहमति बनी है. इसके बाद क्रूड में तेज उछाल देखने को मिला और कच्चा तेल 30 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया.
वहीं, रूस और सऊदी ने इस बात से इनकार किया है कि ऐसी कोई सहमति बनी है. लेकिन, अगर उत्पादन कटौती होती है तो आगे जाकर दूसरे देशों से भी बात की जाएगी. लेकिन, फिलहाल ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है. ट्रंप के ट्वीट के बाद कच्चे तेल में आए उछाल पर ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने अपनी राय दी है. अनिल सिंघवी के मुताबिक, ट्रंप लगातार ऐसे ट्वीट करके गलती कर रहे हैं. ट्रेड वॉर के टाइम से यही ट्रेंड रहा है.
अनिल सिंघवी के मुताबिक, पिछले कुछ समय से अमेरिका ने ऑयल एंड गैस सेक्टर में बड़ा निवेश किया है. कुछ हद तक एक्सपोर्ट भी करने लगा है. यही वजह है कि मार्केट में ट्रंप को इंट्रस्ट आने लगा है. कच्चे तेल में अमेरिका ने जो पैसा डाला है, कीमतें नीचे जाने से उनका पैसा व्यर्थ होता नजर आ रहा है. इसलिए ट्रंप चाहते हैं कि एक लेवल के नीचे कच्चा तेल न जाए. अमेरिकी की इकोनॉमी पर असर न पड़े. साथ ही अमेरिका में बेरोजगारी न बढ़े.
अनिल सिंघवी के मुताबिक, इस तरह के ट्वीट का कोई लंबा असर नहीं होता. शॉर्ट टर्म इम्पैक्ट हो सकता है. शॉर्ट टर्म को देखते हुए कहा जा सकता है कि कच्चे तेल में 30 फीसदी का उछाल आया, लेकिन 35 फीसदी की गिरावट के बाद 5-6 फीसकी का करेक्शन आए तो कोई बड़ी बात नहीं है. इसे एक टेक्नीकल करेक्शन किसी न्यूज पर आते देख सकते हैं. इनसे फंडामेंटल बदलते नहीं हैं. एक बात यह समझने की है कि ग्लोबल मंदी के इस दौर में सभी ऑयल उत्पादक देश यह जानते हैं कि जिस भाव पर वो कच्चा तेल निकालकर बेचते रहें ये उनके हित में है. अभी भी कच्चा तेल प्रोडक्शन कॉस्ट के बहुत ऊपर ट्रेड कर रहा है. कई देश ऐसे हैं, जो कच्चे तेल के मामले में आत्मनिर्भर हो रहे हैं या प्रोडक्शन बढ़ा रहे हैं.
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अनिल सिंघवी के मुताबिक, कोई बड़ी बात नहीं है कि सऊदी अरब और रूस ट्रंप की बात से इनकार कर दें. ट्रंप की तरफ से इस तरह के ट्वीट ज्यादा लंबे समय चलने वाले नहीं हैं. अगर सऊदी अरब या रूस यह नहीं मानते हैं कि उनकी ट्रंप से कोई बातचीत हुई है तो कच्चा तेल वापस 25 डॉलर प्रति बैरल के आसपास नजर आएगा. इस वक्त सबको पैसों की जरूरत है. जिसके पास जो है वो बेचेगा. रूस और अरब देशों के पास कच्चा तेल है, वो बेचेंगे. अनिल सिंघवी के मुताबिक, ऐसा ट्वीट करके ट्रंप अपनो भरोसा कम कर रहे हैं किसी का भला नहीं कर रहे हैं. हालांकि, सऊदी और रूस के इनकार के बाद कच्चा तेल 5 फीसदी नीचे कारोबार कर रहा है.