Crude ऑयल की Commodity market में कीमतें फिर से $0 प्रति बैरल के ऊपर पहुंच गई हैं. इससे तेल कंपनियों के हालात में कुछ सुधार हुआ है. बता दें कि स्थिति यह हो गई थी कि तेल कंपनियों को Crude बेचने के लिए इंसेटिव देना पड़ रहा था. बहरहाल, मंगलवार को अमेरिका में कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें निचले स्तर से वापसी कर शून्य (0 dollar) से ऊपर पहुंच गईं. इससे पहले तेल का वायदा शून्य से नीचे कारोबार कर रहा था. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मई डिलीवरी के लिए US बेंचमार्क वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) की कीमत सोमवार को पहली बार शून्य से नीचे गिरी थीं. मंगलवार को मई डिलीवरी के लिए कारोबार की आखिरी तारीख है. ऐसे में सोमवार को बाजार में कच्चा तेल की कीमत शून्य से नीचे 37.63 डॉलर/बैरल पहुंच गई थी. यह अब 0.56 प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है.

जानकारों का तर्क है कि कोरोना के कहर से चरमराई आर्थिक गतिविधियों के कारण तेल की डिमांड में तकरीबन 35 फीसदी की कमी आई है. ऐसे में बाजार में Demand/Supply में बहरहाल संतुलन बनता नहीं दिख रहा है.

ओपेक और रूस के बीच तेल के उत्पादन में बड़ी कटौती का करार हुआ है जिससे बाजार को सपोर्ट मिल रहा है. ओपेक और रूस ने अगले दो महीने यानी मई और जून के दौरान तेल के उत्पादन में 97 लाख बैरल रोजाना कटौती करने का फैसला लिया है. 

ऊर्जा विशेषज्ञों ने बताया कि यह करार दरअसल अमेरिका के हस्तक्षेप से हुआ है, इसलिए अमेरिका और अन्य देशों द्वारा भी उत्पादन कटौती की उम्मीद की जा रही है, जिससे वैश्विक आपूर्ति में तकरीबन 20 फीसदी तक की कमी आ सकती है.

Zee Business Live TV

मार्केट का हाल

सबसे ज्यादा ड्रामा कच्चा तेल के बाजार में हुआ. जहां मई डिलीवरी के अमेरिकी कच्चा तेल की कीमत शून्य से नीचे 3.70 डॉलर/बैरल पहुंच गई. दरअसल, मई डिलीवरी के सौदे के लिये मंगलवार अंतिम दिन है और व्यापारियों को भुगतान करके डिलीवरी लेनी थी. 

लेकिन मांग कम होने और कच्चा तेल को रखने की समस्या के कारण कोई डिलीवरी लेना नहीं चाह रहा है. यहां तक कि जिनके पास कच्चा तेल है, वे पेशकश कर रहे हैं कि ग्राहक उनसे कच्चा तेल खरीदे. साथ ही वे उसे प्रति बैरल 3.70 डॉलर की राशि भी देंगे. (इसी को कच्चे तेल की कीमत शून्य डॉलर/बैरल) से नीचे जाना कहते हैं.)