इस बार मॉनसून किसानों से खफा रहेगा. महाराष्ट्र और गुजरात में तो सूखा ने अपना असर दिखाना भी शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र के कई इलाकों में पानी की कमी से लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सबसे ज्यादा असर खेती-किसानी पर पड़ा है. महाराष्ट्र और गुजरात में प्याज तथा कपास बड़े पैमाने पर होती है. लेकिन इस बार मॉनसून की बेरुखी के चलते दोनों ही फसलों की पैदावार पर विपरीत असर पड़ेगा, जिसका खामियाजा आम लोगों को महंगाई के रूप में भुगतान पड़ेगा. लेकिन सरकार ने भविष्य में प्याज के दामों का अंदाजा लगाते हुए इसकी कीमतों पर लगाम रखने का प्लान तैयार कर लिया है. इस वर्ष महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य सूखे की स्थिति से गुजर रहे हैं.

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केंद्र ने प्याज उत्पादक राज्यों में सूखे जैसी स्थिति के मद्देनजर आने वाले महीनों में इस महत्वपूर्ण फसल की कीमत पर अंकुश रखने के लिए 50,000 टन प्याज का बफर स्टॉक बनाना शुरू कर दिया है.

चढ़ने लगे हैं प्याज के दाम

एशिया में प्याज की सबसे बड़ी थोक मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में इसका थोक भाव 29 प्रतिशत बढ़कर 11 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा है. पिछले साल इसी दौरान भाव 8.50 रुपये का था. दिल्ली में खुदरा प्याज 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम पर चल रही है.

प्याज उत्पादक क्षेत्र में सूखे की स्थिति के कारण, रबी की प्याज का उत्पादन कम होने की संभावना है. इससे इसकी आपूर्ति व भाव, दोनों पर दबाव बढ़ सकता है.

नाफेड ने बनाया स्टॉक

सहकारी संस्था, नाफेड को मूल्य स्थिरीकरण कोष के तहत प्याज की खरीद करने के लिए कहा गया है, नाफेड ने अब तक रबी की लगभग 32,000 टन रबी की एसी किस्मों की प्याज खरीदा है जिसको स्टॉक में लंबे समय तक रखा जा सकता है. स्टोर किए इस प्याज को जुलाई के बाद नयी आपूर्ति न होने के समय इस्तेमाल में लाया जा सकता है. 

भारत के प्याज उत्पादन का 60 प्रतिशत भाग रबी का होता है जिसकी खुदाई लगभग पूरी हो चुकी है. भारत में प्याज तीन बार, खरीफ (गरमी), देर खरीफ और रबी (जाड़े) के सीजन में लगायी जाती है. 

(इनपुट भाषा से)