सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को ग्राहकों की पहचान का रिकॉर्ड (केवाईसी) रखने तथा निवेश के अंतिम लाभार्थी से संबंधित नियमों में प्रस्तावित बदलावों को लेकर लोगों से सुझाव आमंत्रित किये हैं. सेबी द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने कई विवादास्पद प्रस्तावों में कुछ संशोधन करने और अनुपालन के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को और अधिक समय देने की सिफारिश की है. अनुपालन के लिए इससे पहले दिसंबर तक का समय दिया गया था.

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छह महीने का समय देने की सिफारिश की

समिति ने एपीआई को नये नियमों के निर्धारण के बाद उनके अनुपालन के लिये छह महीने का समय देने की सिफारिश की है और कहा है कि जो इकाइयां इसे लागू नहीं करती हैं उन्हें अपना निवेश समेटने के लिए 180 दिन का समय दिया जाये. सेबी के शनिवार को उठाये गये इस कदम से एफपीआई को कुछ राहत मिल सकती है.

नए नियमों से एनआरआई की बढ़ेगी मुश्किल

पिछले कुछ समय से कुछ हलकों से यह चिंता प्रकट की जा रही थी कि प्रस्तावित नए नियमों से बहुत से विदेशी कोषों के लिये अनुपालन कठिन हो जायेगा.  चिंता यह थी कि इससे प्रवासी भारतीयों और विदेशों में बसे भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) द्वारा प्रबंधित और उनके स्वामित्व में चलने वाले कोषों की मुश्किल बढ़ेगी.

रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर कह की अध्यक्षता में बनी है समिति

रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एच आर खान की अध्यक्षता वाली समिति ने वित्त मंत्रालय और वित्तीय एवं पूंजी बाजार के प्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों के आधार पर सेबी के प्रस्तावित नियमों में बदलाव की सिफारिश की है. सेबी ने इस समिति की सिफारिश को सार्वजनिक रूप से जारी कर इस पर 17 सितंबर तक लोगों की टिप्पणियां आमंत्रित की है. सेबी का कहना है कि समिति ने एफपीआई में अप्रवासी भारतीयों, भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों और भारतीय नागरिकों को गैर-नियंत्रणकारी हिस्सेदारी रखने की छूट देने की सिफारिश की है. समिति की यह भी सिफारिश है कि ऐसे व्यक्तियों पर सेबी में पंजीकृत विदेशी कोषों या निवेश नहीं करने वाले एफपीआई का प्रबंध संभालने पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिये.  

एफपीआई के मामले में अतिरिक्त केवाईसी से राहत देने को कहा

समिति ने सरकार से संबंधित एफपीआई के मामले में अतिरिक्त केवाईसी जमा करने के प्रस्तावित नियम को भी हटाने की सिफारिश की है. समिति ने एफपीआई के वरिष्ठ प्रबंध अधिकारी और सूचीबद्ध इकाइयों के लाभार्थी स्वामियों के बारे में जानकारी देने के प्रस्तावित नियमों में भी बदलावों की सिफारिश की है. लेकिन पी-नोट्स के जरिये विदेशी निवेश के मामले में यह सारे नियम लागू करने की सिफारिश की है. सेबी ने कहा कि समिति यह भी देख रही है क्या एफपीआई और प्रवासी भारतीय/ विदेशी हो गये भारतीय (आईओसी) के जरिये निवेश की व्यवस्थाओं को मिलाने की सिफारिश सरकार और आरबीआई से की जा सकती है.