शेयर बाजार में जोखिम के साथ-साथ निवेशकों को छप्पड़फाड़ रिटर्न भी मिलता है. यही कारण है कि बीते कुछ सालों में तेजी से निवेशकों की संख्या बढ़ी है. ताजा उदाहरण देखें तो कोरोना के निचले स्तरों से इंडेक्स हो या शेयर...सभी बंपर तेजी दिखाई. इससे मार्केट में ट्रेडर्स की संख्या तेजी से बढ़ी. डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी, 2023 तक डीमैट खातों की संख्या 12 करोड़ के पार कर गई है. इसमें आम से लेकर खास तक शामिल हैं. लेकिन निवेशकों की बढ़ती संख्या के चलते निगेटिव असर भी देखने को मिला है. इन सब पर लगाम कसने के लिए सरकार और सरकारी एजेंसियों ने कई कदम उठा रही.

6 महीने के मूल वेतन से ज्यादा के निवेश की डीटेल्स

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केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से कहा है कि यदि शेयर बाजार, शेयर या अन्य निवेश में उनका कुल ट्रांजैक्श कैलेंडर ईयर के दौरान उनके 6 महीने के बेसिक सैलरी से ज्यादा होता है तो वे इसकी जानकारी मुहैया करवाएं. यह जानकारी अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमावली, 1968 के नियम 16(4) के तहत उनके द्वारा दी जाने वाली इसी प्रकार की जानकारी से अतिरिक्त होगी. बता दें कि यह आदेश केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के सचिवों को जारी किया गया है.

मिनिस्ट्री ने जारी किए आदेश

ये नियम अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमावली, 1968 के नियम 16(4) के तहत अखिल भारतीय सेवाओं जैसे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) के सदस्यों पर लागू होंगे. कार्मिक मंत्रालय ने इस बाबत हाल में एक आदेश जारी किया है.  

 

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(भाषा इनपुट के साथ)