Central Bank of India stock Performance: सरकारी बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के स्‍टॉक्‍स में सोमवार के ट्रेडिंग सेशन में 2.5 फीसदी से ज्‍यादा का उछाल देखने को मिला. दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के PCA (प्रॉम्‍प्‍ट कॉरेक्टिव एक्‍शन) फ्रेमवर्क के अंतर्गत आए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) को फाइनेंशियल कंडीशन में सुधार के बाद पाबंदियों से जल्द निजात मिल सकती है. इस खबर का असर सरकारी बैंक शेयर पर देखने को मिला. निवेशकों के लिहाज से स्‍टॉक की परफॉर्मेंस देखें, तो बीते एक साल में शेयर करीब 5 फीसदी टूट चुका है. वहीं, 5 साल के दौरान स्‍टॉक में करीब 81 फीसदी का निगेटिव रिटर्न रहा है. हालांकि, एक्‍सपर्ट अभी बैंक स्‍टॉक में आगे रिकवरी को लेकर पॉजिटिव नहीं है. उनका मानना है कि स्‍टॉक सस्‍ती वैल्‍युएशन के बावजूद एक वैल्‍यु ट्रैप में है. 

Central Bank: क्‍या है एक्‍सपर्ट की राय? 

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स्‍वास्तिका इन्‍वेस्‍टमार्ट लिमिटेड के इक्विटी रिसर्च एनॉलिस्‍ट पुनीत पाटनी का कहना है कि बीते एक दशक में खराब एसेट क्‍वालिटी, लो रिटर्न ऑन एसेट और RBI के PCA फ्रेमवर्क के दायरे में आने जैसी वजहों से बीते एक दशक में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया एक वेल्‍थ डिसास्‍टर साबित हुआ है. यह स्‍टॉक अभी 0.6x के प्राइस टू बुक वैल्‍यू पर ट्रेड कर रहा है. यानी, यह अंडरवैल्‍युड है और कंपनी बीती पांच तिमाही से आरबीआई के पीसीए फ्रेमवर्क के दायरे में है. जल्‍द यह इससे बाहर हो सकता है. बहरहाल, PSU बैंक की वर्क कल्‍चर को देखते हुए, जो शायद ही कभी बदलती है, भविष्य की एसेट क्‍वालिटी में सुधार की अनुमान लगाना और भविष्य के अंडरराइटिंग स्‍टैंडर्ड पर टिप्पणी करना मुश्किल होगा. 

पाटनी का कहना है कि मौजूदा वैल्‍युएशन इसके पांच साल के औसत P/B से ज्‍यादा है और बाजार पीएसयू बैंकों को लो वैल्‍युएशन मल्‍टीपल देने के लिए जाना जाता है. इसका मतलब कि यह शेयर सस्‍ती वैल्‍युएशन के बावजूद एक वैल्‍यु ट्रैप में है. इसके अलावा, ट्रेजरी बुक कुल बैलेंस शीट का एक प्रमुख हिस्सा है, जो मौजूदा बढ़ते इंटरेस्‍ट सायकिल में इसकी प्रॉफिटेबिलिटी के लिए नुकसानदायक होगा. हमारा मानना है कि निवेशकों को SBI जैसे सरकारी बैंक और दूसरे क्‍वालिटी प्राइवेट बैंकों में निवेश करना चाहिए. 

RBI के PCA फ्रेमवर्क से जल्‍द आएगा बाहर!

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के PCA फ्रेमवर्क के अंतर्गत आए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) को फाइनेंशियल कंडीशन में सुधार के बाद पाबंदियों से जल्द मुक्ति मिल सकती है. बैंक ने आरबीआई को प्रजेंटेशन दिया है, जिसमें बताया गया है कि पिछली 5 तिमाहियों में उसके फाइनेंशियल स्‍टैंडर्ड में लगातार सुधार आया है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को नेट एनपीए बहुत ज्‍यादा होने और एसेट्स पर कम रिटर्न मिलने की वजह से जून 2017 में पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था. किसी भी बैंक को पीसीए के अंतर्गत खास रेगुलेटरी जरूरतों जैसेकि रिटर्न ऑन एसेट, मिनिमम कैपिटल, मैनेजमेंट  कम्‍पेनसेशन और डायरेक्‍टर्स फीस के उल्लंघन पर लाया जाता है.

जून तिमाही में बैंक का मुनाफा बढ़ा

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (Q1FY23) में सेंट्रल बैंक का नेट प्रॉफिट 14.2 फीसदी बढ़कर 234.78 करोड़ रुपये रहा है, जो एक साल पहले जून तिमाही में 205.58 करोड़ रुपये था. समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की ग्रॉस एनपीए (GNPA) गिरकर ग्रॉस एडवांसेस का 14.9 फीसदी रह गईं, जो पिछले वर्ष समान तिमाही में 15.92 फीसदी थीं. नेट एनपीए भी पिछले वर्ष जून तिमाही के 5.09 फीसदी से घटकर इस जून तिमाही में 3.93 फीसदी रह गया. 

(डिस्‍क्‍लेमर: स्‍टॉक्‍स पर सलाह एक्‍सपर्ट की ओर से दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)