Cash and F&O Settlements: फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस और कैश के सौदों का नेट सेटलमेंट कैसे किया जा सकता है. मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) इस पर विचार कर रही है. ज़ी बिजनेस को एक्सक्लूसिव खबर मिली है कि हाल में सेबी की एक कमिटी में इस मामले को लेकर शुरुआती चर्चा हुई है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि क्लाइंट फ्यूचर्स और कैश सेगमेंट के बीच देनदारियों और लेनदारियों का नेट सेटलमेंट कर सकेंगे.

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अभी फ्यूचर्स और कैश के सौदों का अलग-अलग सेटलमेंट होता है. फ्यूचर्स में भी डिलीवरी शुरू होने और क्लीयरिंग कॉरपोरेशंस की इंटर ऑपरेबिलिटी के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा से संकेत है कि सेबी इसे लागू करना चाहती है. एक जानकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ये एक ऐसा प्रस्ताव है जिसे बहुत पहले ही लागू कर दिया जाना चाहिए था. क्योंकि इससे क्लाइंट और ब्रोकर्स दोनों की राह आसान होगी.

सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स पर असमंजस

हालांकि इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले ये साफ किया जाना जरूरी होगा कि आखिर STT यानि सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स का क्या होगा. क्योंकि नेट सेटलमेंट होने पर मुमकिन है कि ट्रांजैक्शन की संख्या घटने से STT की देनदारी कम हो जाए. ऐसे में प्रस्ताव को लागू करने से पहले इस मामले पर वित्त मंत्रालय से भी चर्चा जरूरी होगी. 

हालांकि जानकार मानते हैं कि  अगर टैक्स देनदारी में कोई बदलाव न भी हो तो भी बहुत से ब्रोकर इस प्रस्ताव के समर्थन में रहेंगे क्योंकि बार बार सेटलमेंट का झंझट कम होगा. प्रस्ताव को लेकर सेबी की एक कमेटी में अभी शुरुआती चर्चा हुई है जिसमें मोटे तौर पर सहमति है. केवल STT को लेकर अभी और चर्चा होनी है.

बाजार के विस्तार के लिए अच्छा कदम

बाजार के जानकार और एनॉक वेंचर्स के MD & CEO, विजय चोपड़ा की राय में ये बाजार के विस्तार के लिए अच्छा कदम होगा. कई बार क्लाइंट्स की पोजीशंस कट जाती थीं. क्योंकि मार्जिन का इंतजाम नहीं हो पाता था. लेकिन अगर एक यूनिफाइड व्यवस्था आती है तो मार्केट में गहराई आएगी. क्लाइंट के टैक्स भी घटेंगे. नुकसान कम होगा क्योंकि मार्जिन की शर्तें काफी कड़ी हो चुकी हैं. ग्राहकों पर पेनाल्टी भी अक्सर लग जाती है.

F&O में शेयरों की एंट्री हो सकती है शख्त

Sebi फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में शेयरों की एंट्री का पैमाना भी सख्त करने पर चर्चा कर रही है. जिसके तहत सेबी की एक कमिटी रोलिंग बेसिस पर 6 महीने में F&O शेयरों के लिए मार्केट वाइड पोजीशन लिमिट बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये करना चाहती है. मौजूदा समय में ये 500 करोड़ रुपये है. इसी तरह एंट्री की एक और शर्त, कैश सेगमेंट में रोलिंग बेसिस पर 6 महीने का रोजाना डिलीवरी का औसत साइज भी 10 करोड़ रुपये के मुकाबले 20 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव है. किसी शेयर को फिलहाल फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में शामिल करने के लिए प्रोडक्ट सक्सेस फ्रेमवर्क भी लाया जाएगा. जिसमें ये शर्त होगी कि रजिस्टर्ड ब्रोकर्स में से 15% या फिर कम से कम 200 ब्रोकर्स बाजार के कामकाजी दिनों में कम से कम 75% दिनों में ट्रेडिंग करें. F&O सेगमेंट में एंट्री भी लिस्टिंग के 6 महीने बाद हो इसका भी प्रस्ताव किया गया है. 

एफएंडओ में 195 शेयर

फिलहाल फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में 195 शेयर हैं. लेकिन प्रस्ताव अगर नियम में तब्दील हो गया तो शेयरों की संख्या एक तिहाई तक घट सकती है. 

सेबी ने F&O के शेयरों के पैमाने की आखिरी बार 2018 में समीक्षा की थी. उसके बाद अक्टूबर 2019 में एक्सपायरी के लिए फिजिकल सेटलमेंट जरूरी किया था. जानकारों की राय में कई शेयर F&O में हैं, लेकिन लिक्वडिटी नहीं है. ऐसे में सेबी का कदम वाजिब होगा.