BSE Illiquid Stock Options settlement scheme: BSE इल्लिक्विड स्टॉक ऑप्शंस के लिए सेबी ने सेटलमेंट स्कीम लाने का एलान किया है. ये स्कीम 22 अगस्त से 21 नवंबर 2022 के बीच होगी. इसमें खुलने और बंद होने की दोनों तारीखें भी शामिल होंगी. ज़ी बिजनेस ने 19 जुलाई को ही बताया था कि सेबी ऐसी स्कीम लाने वाली है. BSE इल्लिक्विड स्टॉक ऑप्शंस (BSE Illiquid Stock Options) से जुड़े सभी मामले जो किसी भी फोरम या अथॉरिटी के पास चल रहे हैं उनका निपटारा किया जा सकेगा. 

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BSE इल्लिक्विड स्टॉक ऑप्शंस पर मुक्ति की स्कीम 

स्कीम के शुरू होने के बाद कोर्ट, सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल, एडजुडिकेशन ऑफिसर या रिकवरी ऑफिसर के पास चल रहे मामलों का निपटारा होगा. हालांकि शर्त ये होगी कि मामले में अपील फाइल होनी चाहिए. सेबी, BSE की वेबसाइट पर सेटलमेंट स्कीम की शर्तें जारी होंगी. माना जा रहा है कि पिछली सेटलमेंट स्कीम के मुकाबले नई स्कीम सरल और किफायती होगी, ताकि ज्यादा लोग स्कीम में हिस्सा ले सकें. स्कीम में कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या के आधार पर सेटलमेंट की रकम तय की जाएगी. हालांकि कम से कम सेटलमेंट की रकम एक लाख रुपए रखी जा सकती है.  

सेटलमेंट स्कीम क्यों आ रही है 

सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने इसी साल मई में एक आदेश में कहा था कि सेबी को इस तरह की कोई स्कीम लानी चाहिए जिससे मामलों को सहमति से निपटाया जा सके. दरअसल, इल्लिक्विड ऑप्शंस के मामले इतने ज्यादा हैं कि बैकलॉग निपटाने में सेबी और SAT दोनों का काफी वक्त जाया हो रहा है.,जबकि ऐसे मामलों में गड़बड़ी की रकम भी कई बार ज्यादा नहीं होती है. सेबी (BSE) ने इसी तरह की स्कीम 2020 में भी लाया था लेकिन मामले के निपटारे में सेबी तरफ से जो रकम तय की जा रही थी. वह लोगों को ज्यादा लगी जिसकी वजह से करीबन एक हजार मामले ही सहमति से निपटाए जा सके. 

इल्लिक्विड स्टॉक ऑप्शंस का मामला क्या है? 

सेबी (BSE) को 2015 में BSE इल्लिक्विड स्टॉक ऑप्शंस में गड़बड़ी का पता चला था. इसके बाद जांच में ये सामने आया कि 1 अप्रैल 2014 से 30 सितंबर 2015 के बीच स्टॉक ऑप्शंस सेगमेंट के सौदों में दो तिहाई से ज्यादा का रिवर्सल किया गया था. यानि नकली वॉल्यूम दिखाने के लिए सौदे किए गए थे. सौदों में नकली घाटा दिखाकर टैक्स चोरी की आशंकी भी जताई गई थी. सेबी ने पाया था कि 21652 लोगों ने ट्रेडिंग की थी जिसमें से 14700 से ज्यादा ने सौदों को वापस रिवर्स कर दिया था. सेबी ने इसे PFUTP नियमों का उल्लंघन माना था. केस में आज भी बड़ी संख्या में सेबी की तरफ से आदेश पारित हो रहे हैं. मामलों की सुनवाई में काफी वक्त और रिसोर्स भी जा रहा है. बाद में ज्यादातर आदेशों को SAT में चुनौती दी जाती है जिससे SAT में भी मामलों की संख्या बढ़ती है.

स्कीम कामयाब रही तो फायदा

स्कीम (BSE Illiquid Stock Options settlement scheme) में अगर लोगों ने हिस्सा लिया तो सेबी का सिरदर्द कम होगा क्योंकि सेटलमेंट के बाद इन मामलों की सुनवाई कर रहे या पैरवी कर रहे अधिकारी मुक्त होंगे जिनका इस्तेमाल बाकी व्यवस्था को मजबूत करने में किया जा सकेगा. साथ ही बिना वजह के कानूनी खर्चों से भी बचाव होगा. इसी तरह SAT में भी दूसरे अहम मामलों की सुनवाई का ज्यादा मौका पैदा होगा.