BS VI स्टैंडर्ड Petrol-Diesel की बिक्री हुई शुरू, कंपनियों ने लागत बढ़ने के बाद भी नहीं बढ़ाए दाम
BS VI standard fuel: भारत बीएस-4 (BS IV) मानक से सीधे बीएस-6 मानक के ईंधन की ओर बढ़ा है. यह यूरो-6 पेट्रोल और डीजल ईंधन के समकक्ष है.
BS VI standard fuel:कहा है कि महाराष्ट्र (Maharashtra), कर्नाटक (Karnataka) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) जैसे कुछ राज्यों में 1 अप्रैल से पेट्रोल, डीजल के दाम जो बढ़ोतरी हुई है वह इन राज्यों में राज्य बिक्री कर अथवा मूल्य वर्धित कर (VAT) दर बढ़ने की वजह से हुई है.देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation) ने गुरुवार को कहा कि देश में अप्रैल 2020 से बीएस-6 (BS VI) ईंधन की आपूर्ति शुरू हो गई है लेकिन यह काम पेट्रोल (Petrol), डीजल (Diesel) के दाम बढ़ाए बिना हुआ है. तेल कंपनी ने कहा है कि महाराष्ट्र (Maharashtra), कर्नाटक (Karnataka) और पश्चिम बंगाल (West Bengal) जैसे कुछ राज्यों में 1 अप्रैल से पेट्रोल, डीजल के दाम जो बढ़ोतरी हुई है वह इन राज्यों में राज्य बिक्री कर अथवा मूल्य वर्धित कर (VAT) दर बढ़ने की वजह से हुई है.
कंपनियों की लागत एक रुपये प्रति लीटर बढ़ी
भारत बीएस-4 (BS IV) मानक से सीधे बीएस-6 मानक के ईंधन की ओर बढ़ा है. यह यूरो-6 पेट्रोल और डीजल ईंधन के समकक्ष है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, बीएस-6 मानक का स्वच्छ ईंधन तैयार करने पर तेल कंपनियों की लागत एक रुपये प्रति लीटर बढ़ी है लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों (Petroleum companies) ने इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डालने के बजाय इसे अंतररष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों में आई गिरावट में समायोजित किया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम इस समय 17 साल के निचले स्तर पर आ गए हैं.
लागत बढ़ने के बाद भी नहीं बढ़ाई कीमत
आईओसी (IOC) ने कहा कि लागत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के बावजूद पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं. कंपनी ने कहा कि कुछ राज्यों मसलन महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में एक अप्रैल से ईंधन के दाम में बढ़ोतरी बिक्री कर या मूल्य वर्धित कर (वैट) में बढ़ोतरी की वजह से हुई है.
ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें:
35,000 करोड़ रुपये किए खर्च
आईओसी ने बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने देशभर में अपनी रिफाइरियों, पाइपलाइन और मार्केटिंग डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को अपडेट करने पर 35,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसका कुछ प्रभाव पेट्रोल-डीजल के खुदरा दाम पर पड़ता. लेकिन कोविड-19 की वजह से पैदा हुए संकट के मद्देनजर पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों ने कीमतों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया.