Big decision for Mutual Fund Investors: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए मंगलवार को अहम कदम फैसला किया है. इसके तहत जब भी म्यूचुअल फंड के मैच्‍यो‍रिटी ट्रस्‍टी किसी स्‍कीम को बंद करने का फैसला करते हैं, उनके लिये उन्‍हें यूनिटधारकों की मंजूरी लेने को जरूरी होगी. सेबी निदेशक मंडल की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया. म्यूचुअल फंड रेग्‍युलेशंस में संशोधन के तहत सेबी फंड्स के लिये वित्त वर्ष 2023-24 से भारतीय अकाउंट स्‍टैंडर्ड (Ind AS) का पालन करना जरूरी होगा. 

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सेबी की ओर से जारी बयान के मुताबिक, म्यूचुअल फंड के मैच्‍यो‍रिटी ट्रस्‍टी जब भी किसी म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम को बंद करने या क्लोज इंडेड स्कीम के अंतर्गत समय से पहले यूनिट को रिडीम कराने का फैसला करते हैं, ऐसे में उनके लिये यूनटधारकों की सहमति लेने को अनिवार्य की गई है. 

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एक यूनिट, एक वोट के आधार पर मतदान 

बयान के मुताबिक, '' ट्रस्‍टीज को साधारण बहुमत के आधार पर मौजूदा यूनिटधारकों की सहमति लेनी होगी. इसके लिए प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर मतदान होगा. मतदान का रिजल्‍ट स्‍कीम बंद करने की सूचना जारी होने के 45 दिन के भीतर प्रकाशित करने की जरूरत होगी.'' सेबी ने कहा कि अगर ट्रस्‍टी ऐसा करने में विफल होते हैं, योजना मतदान के रिजल्‍ट के प्रकाशन की तारीख के दूसरे कारोबारी दिन से बिजनेस गतिविधियों के लिए खुली होनी चाहिए. 

भारतीय अकाउंट स्‍टैंडर्ड की आवश्यकताओं के अलावा, सेबी ने अनावश्यक प्रावधानों को हटाने और अधिक स्पष्टता लाने के लिए अकाउंटिंग से जुड़े रेग्‍युलेटरी प्रावधानों के संबंध में स्‍टैंडर्ड में संशोधन करने का फैसला किया है. इस बीच, KYC (अपने ग्राहक को जानो) पंजीकरण एजेंसियों (KRA) के रोल को बढ़ाने के लिए, नियामक ने उनके ‘सिस्टम’ पर अपलोड किए गए केवाईसी रिकॉर्ड के रजिस्‍टर्ड इंटरमीडियरीज (आरआई) की ओर से स्वतंत्र सत्यापन को लेकर उनकी जिम्मेदारी तय करने का फैसला किया है.